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Hindi News भारत राष्ट्रीय भाकियू (लोक शक्ति) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी, कृषि कानूनों को 'किसान विरोधी' बताया

भाकियू (लोक शक्ति) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी, कृषि कानूनों को 'किसान विरोधी' बताया

भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तीनों कृषि कानून को असंवैधानिक करार देते हुए इन्हें चुनौती दी है और पहले से लंबित मामले में दखल की गुहार लगाई है।

BKU (Lok Shakti) moves Supreme Court challenging farm laws- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO BKU (Lok Shakti) moves Supreme Court challenging farm laws

नई दिल्ली। केंद्र की ओर से पारित किए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। किसान यूनियन ने याचिका दाखिल कर तीनों कृषि कानून को असंवैधानिक करार देते हुए इन्हें चुनौती दी है और पहले से लंबित मामले में दखल की गुहार लगाई है।

अधिवक्ता ए.पी. सिंह के माध्यम से दायर एक आवेदन में भारतीय किसान यूनियन गुट ने दावा किया कि कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं, इसके बजाय यह केवल कॉर्पोरेट हितों को प्रमोट करने के लिए लाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि कृषि संबंधित तीनों कानून गैर संवैधानिक है और किसानों के खिलाफ है। इस कानून के बाद बाजार समिति खत्म हो जाएगी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि मौजूदा कानून के लागू होने के बाद किसान समुदाय के लिए ये भयंकर आपदा की तरह होगा, क्योंकि एक सामानांतर बाजार तैयार होगा और उस पर कोई नियंत्रण नहीं होगा। इस तरह किसानों का शोषण होने वाला है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कृषि कानून कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) प्रणाली को नष्ट कर देंगे, जो फसलों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है और इसलिए ये कानून असंवैधानिक हैं।

बता दें कि, इससे पहले 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने की मांग पर सुनवाई के दौरान, प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा था कि किसानों द्वारा आंदोलन जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। अदालत ने किसानों को हटाने पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें विरोध करने का मौलिक अधिकार है।

शीर्ष अदालत में लंबित मामले में प्रतिवादी के रूप में 40 से अधिक किसान यूनियनों को आरोपी बनाया गया है, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे यात्रियों का आवागमन बाधित हो रहा है। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि किसानों को उनके विरोध का अधिकार जरूर है, मगर इसका अन्य लोगों पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

(इनपुट- IANS)

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