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भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी से घबराया चीन, करने लगा ये 'गंदा काम'

India's Coronavirus Diplomacy: उम्मीद के मुताबिक, चीन को भारत द्वारा अपने पड़ोसी देशों को वैक्सीन की मदद रास नहीं आई और वो ग्लोबल टाइम्स के जरिए भारत की 'वैक्सीन मैत्री' पहल पर सवाल खड़े करने लगा है। 

China Golbal Times on India Coronavirus Vaccine भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी से घबराया चीन, करने लगा य- India TV Hindi Image Source : INDIA TV भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी से घबराया चीन, करने लगा ये 'गंदा काम'

नई दिल्ली. भारत की कोरोना वैक्सीन डिप्लोमेसी की वजह से चीन दक्षिण भारत में बैकफुट पर है। भारत वैक्सीन डिप्लोमेसी की वजह से अपने पड़ोसियों का दिल जीत रहा है। इससे घबराए चीन ने अपने सरकार अखबार ग्लोबल टाइम्स भारत के प्रयासों को बदनाम करने की कोशिश करनी शुरू कर दी है। भारत ने अबतक श्रीलंका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को सभी SAARC देशों को Covishield vaccine गिफ्ट कर चुका है। श्रीलंका को भारत आने वाली 27 जनवरी वैक्सीन की 5 लाख डोज देने वाले हैं। भारत सरकार ने काबुल को भी ये आश्वसन दिया है कि अफगानिस्तान कोविड -19 वैक्सीन के लिए भारत की प्राथमिकता सूची में उच्च स्थान पर है।

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उम्मीद के मुताबिक, चीन को भारत द्वारा अपने पड़ोसी देशों को वैक्सीन की मदद रास नहीं आई और वो ग्लोबल टाइम्स के जरिए भारत की 'वैक्सीन मैत्री' पहल पर सवाल खड़े करने लगा है। ग्लोबल टाइम्स ने प्रोपेगेंडा फैलाते हुए Serum Institute में लगी आग का जिक्र करते हुए भारत की उत्पादन क्षमता पर सवाल उठाए हैं और अपनी वैक्सीन को क्लीन चिट देने की कोशिश करते हुआ कहा है कि चीन में भारतीय चीनी वैक्सीन लगवा रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में BBC का हवाला देते हुए कहा है कि वैक्सीन को मंजूरी देने में भारत ने जल्दबाजी दिखाई है क्योंकि वैक्सीन बनाने वालों ने वैक्सीन के लिए जरूरी “bridging study”  पूरी नहीं की।

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वहीं भारत के प्रयासों के ठीक उल्ट, चीन ने अबतक इस क्षेत्र के देशों को पेशकश करने के लिए बहुत कम है। विशेषकर तब, जब वो यहा के देशों में आर्थिक और राजनीतिक रूप अपना प्रभाव तेजी से बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि पिछले कुछ सालों में चीन के करीब गए नेपाल में drug regulator ने अबतक ड्रैगन की वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। सूत्रों का कहना है कि मालदीव में सरकार अबतक चीन की वैक्सीन को मंजूरी देने के मूड में नहीं दिखाई दे रही है। फिलहाल हकीकत तो ये है कि चीन के करीबी सहयोगी कंबोडिया ने भी हाल ही में चीनी टीकों की एक लाख खुराक प्राप्त करने के बावजूद टीकों के लिए भारत से अनुरोध किया है।

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भारत की वैक्सीन की बढ़ती डिमांड से घबराकर ग्लोबल टाइम्स कहता है कि भारत के टीकों को मुख्य रूप से दक्षिण एशियाई देशों को सहायता के रूप में दिया जा रहा है और कई देश "गुणवत्ता की चिंताओं" के कारण भारतीय टीके नहीं खरीद रहे है। हालांकि हकीकत इसके ठीक उल्ट है, भारत सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, मोरक्को, बांग्लादेश और म्यांमार को भी contractual या commercial आधार पर टीके की आपूर्ति कर रहा है।

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एक अन्य आर्टिकल में चीन अपनी वैक्सीन पर उड़ रहे सवालों को भारतीय लोगों के जरिए ही शांत करने की कोशिश करता दिख रहा है। चीन आर्टिकल में लिखता है कि बीजिंग में भारतीय रेस्टोरेंट के वर्कर चीनी वैक्सीन लगवाने के लिए उत्साहित है और उन्हें इसकी गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं है। चीन भारतीय मीडिया की को-वैक्सीन को लेकर रिपोर्ट्स को साझा करते हुए कहता है कि भारतीय इस वैक्सीन को लगवाने से बच रहे हैं। जबकि भारत ने पिछले हफ्ते ही स्पष्ट किया है कि कई देश भारत की वैक्सीन में रुचि दिखा रहे हैं। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपने सहयोगी देशों को चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन की सप्लाई जारी रखेगा और इस दौर यह भी सुनिश्चित करेगा कि देश में सभी पूरी होती रहें।

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