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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma's Blog: उद्धव को कांग्रेस और एनसीपी की अधिकांश मांगों पर झुकना होगा

Rajat Sharma's Blog: उद्धव को कांग्रेस और एनसीपी की अधिकांश मांगों पर झुकना होगा

जहां तक शिवसेना का सवाल है, उसके सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया है। उन्हें एनसीपी और कांग्रेस दोनों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।

Rajat Sharma's Blog: Uddhav will have to bow to most of the demands of NCP, Congress- India TV Hindi Rajat Sharma's Blog: Uddhav will have to bow to most of the demands of NCP, Congress

बीजेपी अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कांग्रेस और एनसीपी नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी मजबूती से खारिज कर दिया कि उन्हें महाराष्ट्र में सरकार बनाने के अपने ‘लोकतांत्रिक अधिकार’ से वंचित किया गया। बीजेपी चीफ ने कहा, ‘राज्यपाल ने नई विधानसभा की अधिसूचना के बाद किसी पार्टी के आगे आने और सरकार बनाने का दावा करने के लिए 18 दिनों तक इंतजार किया। कोई भी पार्टी या पार्टियां राज्यपाल से संपर्क कर सकती थीं।’

अमित शाह ने कहा, ‘सरकार के गठन की संभावना का पता लगाने के लिए राज्यपाल ने निमंत्रण तभी भेजा जब निवर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो गया, इसके बावजूद कोई भी पार्टी सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्याबल नहीं दिखा सकी। हर दल ने एक से दो दिन तक का अतिरिक्त समय मांगा। अब उनके पास 6 महीने हैं। यदि उनके पास संख्याबल हो, तो वे अब भी राज्यपाल से संपर्क कर सकते हैं।’

बीजेपी प्रमुख ने पहली बार शिवसेना के साथ पेश आई दिक्कतों पर बात की। उन्होंने कहा, ‘चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मैंने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा था कि यदि हमारे गठबंधन की जीत होती है तो देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री होंगे। तब इस पर कोई सवाल नहीं उठाया गया, और अब कुछ नई शर्तें रख दी गई हैं। हमारी पार्टी को इस पर कुछ रिजर्वेशंस हैं और पार्टी उचित समय पर इसपर विचार करेगी।'

अमित शाह का स्पष्टीकरण सही समय पर आया है। पिछले 18 दिन में शिवसेना ने कई बार कहा है कि अमित शाह ने उनसे 50-50 फॉर्मूले का वादा किया था जिसमें ढाई साल के लिए बीजेपी और ढाई साल के लिए शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला हुआ था। बुधवार को शाह ने साफ कर दिया कि शिवसेना द्वारा रखी गई शर्तें उनकी पार्टी को मंजूर नहीं थीं। यह कहकर कि ‘बंद कमरों में हुई बातों को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए’, बीजपी प्रमुख ने साफ संदेश दिया है कि वह इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस में दिलचस्पी नहीं रखते हैं।

अब यह साफ है कि महाराष्ट्र में सभी दलों के पास सरकार गठन के तरीके और साधन तलाशने के लिए 6 महीने का समय है। बुधवार को अमित शाह की टिप्पणी ने यह भी संकेत दिया कि बीजेपी भी खुद को सरकार बनाने की रेस से बाहर नहीं मान रही है। जहां तक शिवसेना का सवाल है, उसके सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया है। उन्हें एनसीपी और कांग्रेस दोनों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। शरद पवार और अहमद पटेल अनुभवी राजनेता हैं और शिवसेना की जरूरत को बखूबी जानते हैं। शिवसेना को इन दोनों पार्टियों की अधिकांश शर्तों को मानना होगा, और इसकी वजह से भविष्य में भगवा पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। (रजत शर्मा)

देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 13 नवंबर 2019 का पूरा एपिसोड

 

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