A
Hindi News भारत राष्ट्रीय किस वजह आई चमोली में आपदा? प्रारंभिक अध्ययन में सामने आई ये बात

किस वजह आई चमोली में आपदा? प्रारंभिक अध्ययन में सामने आई ये बात

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology) के वैज्ञानियों (Scientists) का प्रारंभिक आकलन (initial assessment) है कि दो दिन पहले उत्तराखंड (Uttrakhand) में आकस्मिक बाढ़ (Flash Flood) झूलते ग्लेशियर (Hanging Glaciers) के ढह जाने की वजह से आई।

नई दिल्ली. 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली में आई जल प्रलय ने भारी तबाही मचाई। इस घटना में करीब 200 लोग लापता है जबकि 32 शव बरामद किए जा चुके हैं। अचानक चमोली की धौलीगंगा नदी में बाढ़ कैसे आ गई, इसको लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। इस घटना को लेकर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology) के वैज्ञानियों (Scientists) का प्रारंभिक आकलन (initial assessment) है कि दो दिन पहले उत्तराखंड (Uttrakhand) में आकस्मिक बाढ़ (Flash Flood) झूलते ग्लेशियर (Hanging Glaciers) के ढह जाने की वजह से आई।

पढ़ें- उत्तराखंड के चमोली में हुई तबाही के बारे में गृह मंत्री अमित शाह ने दी राज्यसभा को जानकारी
पढ़ें- बिहार में हुआ नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार, जानिए शाहनवाज सहित किस-किसने ली शपथ

झूलता ग्लेशियर (Hanging Glacier) एक ऐसा हिमखंड होता है जो तीव्र ढलान के एक छोर से अचानक टूट जाता है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन ने कहा, "रौंथी ग्लेशियर के समीप एक झूलते ग्लेशियर में ऐसा हुआ, जो रौंथी/मृगुधानी चौकी (समुद्रतल से 6063 मीटर की ऊंचाई पर) से निकला था।" हिमनद वैज्ञानिकों की दो टीम रविवार की आपदा के पीछे के कारणों का अध्ययन कर रही हैं। उन्होंने मंगलवार को हेलीकॉप्टर से सर्वेक्षण भी किया।

पढ़ें- राज्यसभा में भावुक गुलाम नबी आजाद ने बताया कब उन्हें सबसे ज्यादा रोना आया था
पढ़ें- Chamoli: रैणी गांव से 4 और शव बरामद

आपदा लाखों मीट्रिक टन बर्फ फिसलने से आई- मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Uttrakhand CM Trivendra Singh Rawat) ने सोमवार को ISRO के वैज्ञानिकों के हवाले से कहा कि रविवार को चमोली जिले में आपदा हिमखंड टूटने के कारण नहीं बल्कि लाखों मीट्रिक टन बर्फ के एक साथ फिसलकर नीचे आने की वजह से आई। रैंणी क्षेत्र में ऋषिगंगा और धौलीगंगा में अचानक आई बाढ के कारणों पर यहां सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस के अधिकारियों और इसरो के वैज्ञानिकों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री रावत ने कहा, "दो तीन दिन पहले वहां जो बर्फ गिरी थी, उसमें एक ट्रिगर प्वाइंट से लाखों मीट्रिक टन बर्फ एक साथ स्लाइड हुई और उसके कारण यह आपदा आई है।"

पढ़ें- फक्र महसूस होता है कि हम हिंदुस्तानी मुसलमान हैं, राज्यसभा में बोले गुलाम नबी आजाद
पढ़ें- जानिए गुलाम नबी आजाद की वो विशेषता जिसके लिए प्रधानमंत्री ने किया सैल्यूट

उन्होंने कहा कि वहां कोई हिमखंड नहीं टूटा है। रावत ने कहा कि इसरो की तस्वीरों में कोई ग्लेशियर नजर नहीं आ रहा है और पहाड़ साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि वैसे भी हादसे वाली जगह आपदाओं के प्रति संवेदनशील नहीं है। रावत ने कहा कि तस्वीरों में पहाड़ की चोटी पर कुछ दिखाई दे रहा है जो ट्रिगर प्वाइंट हो सकता है जहां से बड़ी मात्रा में बर्फ फिसलकर नीचे आई होगी और नदियों में बाढ आ गई। रविवार को मुख्यमंत्री रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था और सोमवार को वह फिर तपोवन क्षेत्र में पहुंचे। 

पढ़ें- नेपाल की झील में आई दरारें, यूपी की शारदा नदी में आ सकता है उफान, अलर्ट पर 50 गांव
पढ़ें-  गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई पर भावुक हुए प्रधानमंत्री मोदी, देखिए वीडियो

लोगों को अब भी चमत्कार की उम्मीद
एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगड पनबिजली परियोजना के तबाह हो गए बांध के पास छोटी बस्ती में कई परिवार को सुरंग के भीतर फंसे अपनों के बारे में खुशखबरी का इंतजार है। उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को हिमखंड टूटने की त्रासदी के बाद तपोवन की सुरंग में फंसे लोगों के रिश्तेदारों को उनके सकुशल निकलने का इंतजार है। परियोजना से जुड़ी सुरंग के भीतर फंसे 30-35 लोगों को निकालने के लिए अभियान में कई एजेंसियां जुटी हुई हैं।

पढ़ें- Chamoli Disaster: टनल से रेस्क्यू गए लोगों के शरीर में दर्द, घंटों तक लोहे की सरियों पर लटके रहे

कांचुला गांव के दीपक नगवाल के बहनोई सतेश्वर सिंह सुरंग के भीतर मेकैनिक का काम करते थे। हिमखंड के टूटने के समय सतेश्वर सुरंग के भीतर ही थे। आपदा के बाद से उनका कोई पता नहीं चल पाया है। दीपक के बहनोई के बड़े भाई और अन्य परिजन तपोवन के पास अपने रिश्तेदार के बारे में किसी अच्छी खबर सुनने के इंतजार में रूके हैं। जब भी कोई सुरक्षाकर्मी सामने आता है तो वे उनकी खोज-खबर लेते हैं।

पढ़ें- Chamoli Disaster: उत्तर प्रदेश के 70 लोग लापता, परिवारों में छाई मायूसी

हालांकि, अब तक उन्हें सतेश्वर के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। चमोली के किमाना गांव के तीन लोग भी सुरंग में फंसे हैं। गांव के 40 से ज्यादा लोग तपोवन में उनकी राह देख रहे हैं। किमाना गांव के दर्शन सिंह बिष्ट ने कहा कि उनके तीन रिश्तेदार-अरविंद सिंह, रामकिशन सिंह और रोहित सिंह सुरंग के भीतर फंसे हैं। सुरंग के भीतर फंसे कुछ और लोगों के परिवारों को अपनों के बारे में किसी सूचना का इंतजार है। सुरंग के द्वार के पास खड़े डाक गांव के विजय सिंह बिष्ट ने कहा कि वह अपने भाई डी एस बिष्ट के बारे में जानना चाहते हैं और समय बीतने के साथ उनकी बेचैनी बढ़ती जा रही है।

पढ़ें- भारतीय रेल ने बदला इन स्पेशल ट्रेनों का टाइम, देखिए पूरी लिस्ट

करचौन गांव के भवन सिंह फर्सवान (60) भी अपने गांव के एक व्यक्ति की तलाश में सुरंग के पास ही थे। उन्होंने कहा कि रैनी में परियोजना स्थल के तबाह होने के बाद से उनके परिवार के दो लोग लापता हैं। दतुनू के अमर सिंह भी अपने गांव के कुछ लोगों की खैरियत के बारे में जानना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के बाद से समूचा गांव सदमे में है। भवन सिंह ने कहा, "मेरे गांव के कुल 25 लोग एनटीपीसी परियोजना स्थल पर काम करते थे। आपदा के दिन उनमें से छह लोगों की छुट्टी थी, लेकिन बाकी लोग सुरंग के भीतर फंस गए।" (With inputs from Bhasha)

Latest India News