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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma's Blog | बृजभूषण को कैसे भारतीय कुश्ती जगत छोड़ने पर मजबूर किया गया

Rajat Sharma's Blog | बृजभूषण को कैसे भारतीय कुश्ती जगत छोड़ने पर मजबूर किया गया

जिस दिन बृजभूषण ने कहा था कि दबदबा कायम रहेगा, उसी दिन मैंने कहा था कि वक्त बदलते देर नहीं लगती, ये अहंकार ज्यादा वक्त नहीं रहेगा, बेटियों के आंसू बेकार नहीं जाएंगे।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog Latest, Rajat Sharma- India TV Hindi Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

बृजभूषण शरण सिंह को आखिरकार झुकना पड़ा। भारतीय कुश्ती संघ से उनका दबदबा खत्म हुआ। इसे देखकर देश के हर खिलाड़ी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास बढ़ेगा। बृजभूषण की दबंगई का हवा होना देश के लिए कुश्ती का मेडल जीतने वाली बहादुर बेटियों के आंसुओं का जवाब है, कुश्ती पर उनके कर्ज का हिसाब है। देश का नाम रौशन करने वाली बेटियों को रूलाने वाले जो बृजभूषण शरण सिंह चार दिन पहले कह रहे थे कि दबदबा था और दबदबा कायम रहेगा, वही बृजभूषण कह रहे थे कि उस बयान में अंहकार था, गड़बड़ हो गई, गलती हो गई। बृजभूषण के चेले संजय सिंह WFI के अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के बाद बोल रहे थे कि बृजभूषण भारतीय कुश्ती की आत्मा है, उनके मार्गदर्शन में काम होगा। लेकिन रविवार को बृजभूषण ने कहा कि उनका कुश्ती और कुश्ती संघ से अब कोई वास्ता नहीं हैं, वो कुश्ती से पूरी तरह से दूर हो चुके हैं, अब संजय सिंह को जो करना है, करें, सरकार से बात करनी है, करें, कोर्ट जाना है, जाएं। जिस दिन बृजभूषण ने कहा था कि दबदबा कायम रहेगा, उसी दिन मैंने कहा था कि वक्त बदलते देर नहीं लगती, ये अहंकार ज्यादा वक्त नहीं रहेगा, बेटियों के आंसू बेकार नहीं जाएंगे। उसी की तस्वीर रविवार को सामने आई।

बृजभूषण का हृदय परिवर्तन क्यों हुआ? उन्हें अपनी गलती का पछतावा हुआ या कराया गया है? उन्होंने कुश्ती संघ से दूरी बनाई या उन्हें दूर करवाया गया? 48 घंटे में ऐसा क्या हुआ जिसने बृजभूषण के दबदबे की हवा निकाल दी? मैं आपको बताता दूं कि बृजभूषण शरण सिंह के तेवर क्यों बदले। पिछले 48 घंटे में क्या क्या हुआ, जिससे बृजभूषण की सारी हेकड़ी निकल गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्देश मिलने के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बृजभूषण शरण सिंह को बुलाया। नड्डा ने बृजभूषण से पूछा कि आखिर वादा करने के बाद भी कुश्ती संघ में दखलंदाजी क्यों कर रहे हैं। उन्होंने WFI के चुनाव में सक्रिय भूमिका क्यों निभाई, और फिर नतीजे आने के बाद बेहूदा बयानबाजी क्यों की? बृजभूषण के पास कोई जवाब नहीं था। इसके बाद नड्डा ने साफ शब्दों में बता दिया कि अब कुश्ती संघ में उनकी दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, अब वो कुश्ती संघ से दूर रहेंगे, WFI का नाम भी नहीं लेंगे, अगर उन्होंने इस बार वादाखिलाफी की, तो उनके खिलाफ पार्टी कार्रवाई करेगी। खेल मंत्रालय को रविवार को ही बृजभूषण के चेलों के खिलाफ सख्त एक्शन का निर्देश मिल चुका था। मंत्रालय ने WFI की नई फेडरेशन को सस्पेंड कर दिया, फेडरेशन के अध्यक्ष संजय सिंह जो बृजभूषण शरण सिंह के चहेते हैं, उन्हें निलम्बित कर दिया।

WFI का कामकाज देखने  की जिम्मेदारी फिलहाल भारतीय ओलंपिक एसोशिएशन को दे दी गई। इसके बाद बृजभूषण को समझ आ गया कि अब पानी सिर से ऊपर से निकल चुका है, अगर अब भी वो दबदबा बनाए रखने के चक्कर में पड़े, तो डूबना तय है। इसलिए बृजभूषण ने WFI से दूरी बनाने में ही भलाई समझी। सरकार ने WFI के पदाधिकारियों को फिलहाल सस्पेंड करने का जो फैसला किया है, उससे साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट कुछ हद तक संतुष्ट हैं। साक्षी मलिक ने संकेत दिया है कि वो अपने फैसले पर फिर से विचार करेगी। साक्षी मलिक ने कहा कि उनकी लड़ाई कभी खेल मंत्रालय या सरकार के खिलाफ नहीं थी। उन्होंने बेटियों का सम्मान बचाने के लिए बृजभूषण के खिलाफ संघर्ष शुरू किया था, वो लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री ने 48 घंटे के अंदर एक्शन लिया। कुश्ती से बृजभूषण शरण सिंह के दबदबे को खत्म किया। कुश्ती की चैंपियन बेटियों को विश्वास दिया। सबको संदेश दिया कि कुश्ती में किसी दबंग की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। पहलवानों को संदेश दिया कि विनेश और साक्षी के आंसू व्यर्थ नहीं जाएंगे। बजरंग पुनिया का संघर्ष बेकार नहीं जाएगा। बृजभूषण को लगता था कि वो यूपी में 4-5 सीटों पर हार जीत का असर डाल सकते हैं। चुनाव सिर पर हैं, इसलिए वो जो चाहे करें, उन्हें कोई कुछ नहीं कह सकता। उन्हें भी संदेश मिल गया कि जेपी नड्डा ऐसे अध्यक्ष नहीं है जो इन धमकियों से डर जाएं। ये सही है कि बृजभूषण के दादागिरी भरे बयान के बाद, साक्षी मलिक के आंखों में आंसू भरकर कुश्ती छोड़ने के ऐलान के बाद, कुश्ती खेलने और देखने वालों में निराशा का माहौल था। बजरंग पुनिया ने भी जब पद्मश्री लौटाने का ऐलान किया तो वो भी हताशा में लिया गया फैसला था।

खेल मंत्रालय ने जब कुश्ती संघ की गतिविधियों पर रोक लगाई तो पासा पलट गया। जेपी नड्डा ने बृजभूषण शरण सिंह पर जो लगाम लगाई, उससे बाजी पलट गई, पहलवानों में भरोसा पैदा हुआ। पर कुश्ती संघ के संजय सिंह बृजभूषण के चेले हैं। संजय सिंह अभी भी कोशिश में लगे हैं। कभी कहते हैं वो बृजभूषण के रिश्तेदार नहीं हैं, कभी कहते हैं वो सरकार से बात करेंगें, कभी कहते हैं वो कोर्ट जाएंगे, इसलिए अभी सावधान रहने की जरूरत है। कुश्ती संघ को दबंगों से मुक्त कराना आसान काम नहीं है। कुश्ती लड़ने की ललक रखने वाली बहादुर बेटियों को भरोसा दिलाना तो और भी मुश्किल है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कारण एक उम्मीद जगी है। आशा की किरण दिखाई दी है। हमें भरोसा करना चाहिए कि कुश्ती लड़ने वालों को अब अपने हक के लिए सड़क पर उतरने  की जरूरत नहीं पड़ेगी। विनेश, साक्षी और बजरंग जैसे पहलवान जिन्होंने हिम्मत दिखाई, जोखिम उठायी, मुझे उम्मीद है कि अब उन्हें किसी राजनेता की शरण में जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। कुश्ती का पूरा मसला राजनीति से जितना दूर रहे, उतना अच्छा। सबसे ज्यादा तारीफ़ मैं उन महिला पहलवानों की हिम्मत की करूंगा, जिन्होंने ज़ुल्म के खिलाफ पुलिस में शिकायत लिखाई, और तमाम तरह के दबावों के बावजूद अपनी बात पर डटी  हुई हैं। इन्हीं के कारण आज ये दिन आया कि बृजभूषण को कुश्ती से तौबा करनी पड़ी। मुझे उम्मीद है कि चैंपियन बेटियों के हक की ये लड़ाई जल्द ही एक निर्णायक मोड़ तक पहुंचेगी। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 25 दिसंबर, 2023 का पूरा एपिसोड

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