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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: योगी ने यूपी से कैसे किया माफिया युग का खात्मा

Rajat Sharma’s Blog: योगी ने यूपी से कैसे किया माफिया युग का खात्मा

योगी आदत्यनाथ ने साफ कर दिया है कि वह राजनीतिक हमले झेल लेंगे लेकिन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई कमी नहीं आएगी।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Atiq Ahmed, Rajat Sharma Blog on Mamata Banerjee- India TV Hindi Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के तीनों कातिलों को आज प्रयागराज की एक अदालत में पेश किया गया। अदालत ने तीनों को 4 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। इस बीच अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन और उसके करीबी गुड्डू मुस्लिम का पता लगाने के लिए पुलिस बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चला रही है। शाइस्ता और गुड्डू मुस्लिम BSP विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद पिछले 2 महीने से फरार हैं। राजू पाल की 2005 में प्रयागराज में दिन-दहाड़े हत्या कर दी गई थी। न्यायिक आयोग और SIT ने अतीक और अशरफ की लाइव मर्डर की जांच शुरू कर दी है। यूपी पुलिस के पूर्व आईजी अखिलेश मेहरोत्रा ने इंडिया टीवी से बातचीत में कहा कि 2005 में जब वह प्रयागराज के डीआईजी थे तभी राजू पाल की हत्या हुई थी। उस वक्त अतीक की गिरफ्तारी के लिए के लिए उन्हें मुलायम सिंह यादव के पास जाना पड़ा था। उन्होंने मुलायम सिंह से अतीक की गिरफ्तारी का अनुरोध किया। मेहरोत्रा के मुताबिक, मुलायम अतीक की गिरफ्तारी का आदेश देने में हिचक रहे थे लेकिन जब उन्हें समझाया गया कि इससे सरकार की बदनामी हो रही है, उन्होंने गिरफ्तारी की इजाजत दे दी। उन्होंने कहा कि न सिर्फ समाजवादी पार्टी, बल्कि कई अन्य सियासी दल भी अतीक के गिरोह को संरक्षण दे रहे थे। अतीक का गैंग खुलेआम लोगों की हत्या, रंगदारी में लिप्त था और कारोबारियों को गुलाबी और सफेद पर्चियां भेजकर ‘इलेक्शन टैक्स’ वसूलता था। पर्ची के रंग से तय होता था कि किसको कितना पैसा देना है। गुलाबी पर्ची का मतलब था कि 3 से 5 लाख के बीच 'टैक्स' देना है, जबकि 5 लाख से ज्यादा की रकम के लिए सफेद पर्ची दी जाती थी। इस बात में तो कोई शक नहीं है कि अतीक इतना बड़ा माफिया इसलिए बना क्योंकि उसे राजनीतिक संरक्षण मिला। अतीक 44 साल तक इसलिए अपराध करता रहा क्योंकि पुलिस के हाथ नेताओं ने बांध रखे थे। अब योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को खुली छूट दे दी है, इसीलिए यूपी में कानून की ताकत दिख रही है। अपराधियों में खौफ है। वे भाग रहे हैं। ऐसा नहीं है कि अतीक, उसके भाई अशरफ और बेटे असद की मौत के बाद माफिया के खिलाफ एक्शन में कमी आएगी। क्योंकि मंगलवार को ही योगी ने यूपी के बड़े 61 माफियाओं की लिस्ट तैयार करवाई है। इनमें से जो जेल में हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज होगी जिससे अपराधियों को जल्दी से जल्दी सजा दिलाई जा सके। इसके अलावा जो माफिया पुलिस की पकड़ से बाहर हैं, उनको पकड़ने के लिए पुलिस पूरी ताकत लगाएगी। योगी ने क्लीयर कर दिया है कि वो राजनीतिक हमले झेल लेंगे लेकिन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई कमी नहीं आएगी। योगी का यही रवैया, माफिया के खिलाफ यही सख्ती, उन्हें दूसरे नेताओं से अलग करती है। यही वजह है कि अब यूपी बदल रहा है। यूपी से अपराधी और माफिया भाग रहे हैं और बड़े-बड़े बिजनेसमैन निवेश करने के लिए यूपी में आ रहे हैं। योगी ने मंगलवार को एक टेक्सटाइल पार्क के MoU साइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'यूपी में अब कोई माफिया या अपराधी किसी उद्योगपति को डरा नहीं सकता।'

महाराष्ट्र में जारी है ‘कुर्सी का खेल’
मंगलवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने मीडियाकर्मियों से कहा कि वह NCP में बने रहेंगे और अपनी पार्टी द्वारा लिए गए किसी भी फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने बीजेपी के साथ जाने की अटकलों को 'बेकार' बताया। लेकिन महाराष्ट्र से कुछ अलग ही संकेत आ रहे हैं। अजीत के समर्थक विधायकों का कहना है कि वे NCP सुप्रीमो के भतीजे के साथ हैं और वह जहां भी जाएंगे, वे उनके साथ होंगे। अजीत पवार एक ऐसी इफ्तार पार्टी में शामिल हुए जिसमें शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले भी पहुंचे हुए थे। इस मौके पर जहां NCP के बाकी नेताओं ने खड़े होकर शरद पवार को नमस्कार किया, वहीं पार्टी सुप्रीमो के अजीत उनकी तरफ पीठ करके खड़े थे। भतीजे अजीत ने चाचा शरद पवार की तरफ देखा तक नहीं। अजित पवार के खेमे में इस समय करीब 40 विधायक हैं। सुप्रिया सुले ने इशारों-इशारों में कहा कि अगले 15 दिनों में 2 सियासी भूकंप आएंगे, एक महाराष्ट्र में और दूसरा दिल्ली में। महाराष्ट्र में जो हो रहा है वह विश्वास में कमी का एक शानदार उदाहरण है। अजीत पवार बार-बार कहते हैं कि वह NCP छोड़कर नहीं जा रहे, लेकिन कोई उनकी बात का यकीन नहीं करता। महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में ED की चार्जशीट में अजीत पवार और उनकी पत्नी का नाम गायब है। इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि उनके और गृह मंत्री अमित शाह के बीच एक गुप्त बैठक हुई है। वहीं, दूसरी तरफ शरद पवार कहते हैं कि महाराष्ट्र में उनका शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं टूटेगा, लेकिन कोई उनकी बात का विश्वास नहीं करता। लोग याद दिलाते हैं कि अडानी पर, सावरकर पर पवार साहब ने जो लाइन ली वह गठबंधन के जुड़ने की नहीं बल्कि टूटने की शुरुआत है। बीजेपी के नेता भी कह रहे हैं कि हमें अजीत पवार की क्या जरूरत, हमारे पास तो पहले से ही बहुमत है। ऐसे में लोग उन्हें याद दिलाते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अगर शिवसेना के विधायकों को डिस्क्वॉलिफाई कर दिया तो क्या होगा। फैसला आने वाला है, इसीलिए अजीत पवार के साथ हाथ मिलाने की तैयारी हो रही है। यह सारा अविश्वास इसलिए है क्योंकि इस वक्त महाराष्ट्र की सियासत में कौन, कब, किसको धोखा दे दे, कोई नहीं कह सकता। शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस और NCP के साथ मिलकर सरकार बनाई। एकनाथ शिंदे ने हमेशा उद्धव ठाकरे का साथ देने का वादा किया था लेकिन उनके नीचे से कुर्सी खींच ली। अजीत पवार भी अपना खेल दिखा चुके हैं। उन्होंने एक रात के लिए बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। इसीलिए लोग कहते हैं महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कुछ भी हो सकता है। सब मानकर बैठे हैं कि आज नहीं तो कल, अजीत पवार NCP के 40 विधायकों को साथ लेकर सरकार में शामिल हो जाएंगे औऱ बाकी सब देखते रह जाएंगे।

बिहार में क्यों सक्रिय है माफिया?
बिहार के पटना जिले में रेत माफिया के गुंडों ने 2 महिला अधिकारियों सहित खनन विभाग के कर्मचारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। खनन विभाग ने पटना के बिहटा थाने के अंतर्गत आने वाले कोलीवर पुल के पास रेत से लदे 29 ट्रकों को जब्त कर लिया था। इस मामले में 45 लोगों को हिरासत में लिया गया था, लेकिन बुधवार को स्थानीय लोगों की भारी भीड़ ने उनकी रिहाई की मांग को लेकर बिहटा थाने का घेराव कर लिया। बिहार के खनन मंत्री रामानंद यादव ने वादा किया है कि बेगुनाहों पर कोई केस दर्ज नहीं होगा, लेकिन हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह घटना साबित करती है कि बिहार में 'जंगल राज' वापस आ गया है और अब राज्य में अधिकारी भी सुरक्षित नहीं हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश पड़ोसी राज्य हैं। एक तरफ जहां यूपी से माफिया के खौफ में जीने की खबरें आती हैं, वहीं बिहार में ठीक इसका उल्टा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सोचना चाहिए कि क्या वजह है कि अपराधी उनकी पुलिस से नहीं डरते और क्या वजह है कि राज्य मशीनरी माफिया के खिलाफ ऐक्शन नहीं ले पाती। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 18 अप्रैल, 2023 का पूरा एपिसोड

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