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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: मोदी ने मुफ्तखोरी वाली ‘शॉर्टकट’ राजनीति को लेकर क्यों चेतावनी दी?

Rajat Sharma’s Blog: मोदी ने मुफ्तखोरी वाली ‘शॉर्टकट’ राजनीति को लेकर क्यों चेतावनी दी?

प्रधानमंत्री की टिप्पणियों को श्रीलंका में व्याप्त अराजकता और कई राज्य सरकारों द्वारा दी जा रही मुफ्त सुविधाओं के आलोक में देखा जाना चाहिए।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Modi, Rajat Sharma Blog on Sri Lanka- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ‘शॉर्टकट पॉलिटिक्स’ का जिक्र करते हुए एक बहुत ही महत्वपूर्ण टिप्पणी की। झारखंड के देवघर में 16,800 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की शुरुआत करने के बाद बीजेपी की एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘लोगों को शॉर्टकट पॉलिटिक्स वाली सोच से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इससे शॉर्ट सर्किट भी हो सकता है और देश बर्बाद हो सकता है।’

प्रधानमंत्री की टिप्पणियों को श्रीलंका में व्याप्त अराजकता और कई राज्य सरकारों द्वारा दी जा रही मुफ्त सुविधाओं के आलोक में देखा जाना चाहिए। मोदी ने कहा, ‘आज मैं आप सभी को एक बात से सतर्क करना चाहता हूं। आज हमारे देश के सामने एक और ऐसी चुनौती आ खड़ी हुई है, जिसे हर देशवासी को जानना और समझना जरूरी है। ये चुनौती है, शॉर्ट-कट की राजनीति की। बहुत आसान होता है लोकलुभावन वायदे करके, शॉर्ट-कट अपनाकर लोगों से वोट बटोर लेना। शॉर्ट-कट अपनाने वालों को ना मेहनत करनी पड़ती है और न ही उन्हें दूरगामी परिणामों के बारे में सोचना पड़ता है। लेकिन ये बहुत बड़ी सच्चाई है कि जिस देश की राजनीति शॉर्ट-कट पर आधारित हो जाती है, उसका एक न एक दिन शॉर्ट-सर्किट भी हो जाता है। शॉर्ट-कट की राजनीति, देश को तबाह कर देती है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत में हमें ऐसी शॉर्ट-कट अपनाने वाली राजनीति से दूर रहना है। अगर हमें आजादी के 100 वर्ष पर, भारत को नई ऊंचाई पर ले जाना है, तो उसके लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करनी होगी। और परिश्रम का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता। आजादी के बाद, देश में जो राजनीतिक दल हावी रहे, उन्होंने बहुत से शॉर्ट-कट अपनाए थे। इसका नतीजा ये हुआ कि भारत के साथ आजाद हुए देश भी भारत से बहुत आगे निकल गए। हम वहीं के वहीं रह गए। आज हमें अपने देश को उस पुरानी गलती से बचाना है।’

मोदी ने कहा, ‘मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। आज हम सभी के जीवन में बिजली कितनी जरूरी हो गई है, ये हम सभी देख रहे हैं। अगर बिजली ना हो तो मोबाइल चार्ज नहीं हो पाएगा, न टीवी चलेगा, इतना ही नहीं गांव में टंकी बनी हो, नल भी लगा हो, बिजली नहीं है तो टंकी नहीं भरेगी, टंकी नहीं भरेगी तो पानी नहीं आएगा। पानी नहीं आएगा तो खाना नहीं पकेगा। आज बिजली इतनी ताकतवर बन गई है, हर कोई काम बिजली से जुड़ गया है। और भाइयों-बहनों अगर ये बिजली न होगी तो फिर शाम को फिर ढिबरी या लालटेन की रोशनी में रहना पड़ेगा। बिजली ना हो तो रोजी-रोटी के अवसर, कल-कारखाने सब बंद हो जाएंगे। लेकिन बिजली शॉर्ट-कट से पैदा नहीं की जा सकती।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘झारखंड के आप लोग तो जानते हैं कि बिजली पैदा करने के लिए पावर प्लांट लगाने पड़ते हैं, हजारों-करोड़ रुपए का निवेश होता है। इस निवेश से नए रोजगार भी मिलते हैं, नए अवसर भी बनते हैं। जो राजनीतिक दल, शॉर्ट-कट अपनाते हैं, वो इस निवेश का सारा पैसा, जनता को बहलाने में लगा देते हैं। ये तरीका देश के विकास को रोकने वाला है, देश को दशकों पीछे ले जाने वाला है।’

मोदी ने कहा, ‘मैं आप लोगों को, सभी देशवासियों को इस शॉर्ट-कट की राजनीति से बचकर रहने का हृदयपूर्वक आग्रह कर रहा हूं। शॉर्ट-कट की राजनीति करने वाले कभी नए एयरपोर्ट नहीं बनवाएंगे, कभी नए और आधुनिक हाईवेज नहीं बनवाएंगे। वे कभी भी नए एम्स नहीं बनवाएंगे, हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज नहीं बनवाएंगे। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। आज यहां झारखंड में हजारों करोड़ की नई सड़कों के लिए शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। किसी के लिए बहुत आसान है, ये कह देना कि अब से झारखंड में न बस का टिकट लगेगा, न ऑटो में चढ़ने के पैसे देने होंगे और न ही रिक्शे का कोई भाड़ा लगेगा। सुनने में ये बहुत लोकलुभावन लगता है। लेकिन ऐसी लोकलुभावन घोषणाएं, ये शॉर्ट-कट एक दिन लोगों को ही कंगाल कर देते हैं। जब सरकार के पास पैसा ही नहीं आएगा तो फिर वो नई सड़कों के लिए कहां से खर्च करेगी, नए हाईवे कहां से बनवाएगी। इसलिए ऐसे लोगों से झारखंड के निवासियों को भी सतर्क रहने की जरूरत है।’

प्रधानमंत्री ने ऐसा क्यों कहा? वह मुफ्त बिजली की  क्यों बात कर रहे थे? प्रधानमंत्री भारत में किन राजनीतिक दलों की बात कर रहे थे? क्या वह परोक्ष रूप से श्रीलंका के आर्थिक पतन की ओर इशारा कर रहे थे? हमने देखा है कि कैसे श्रीलंका के लोग भोजन, ईंधन और आवश्यक वस्तुओं के लिए तरस रहे हैं।

मोदी की यह बात सही है कि मुफ्तखोरी एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं हैं। यह न तो टैक्स देने वाले नागरिकों के लिए अच्छी है, और न ही सरकार के लिए जिसे गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू करनी पड़ती हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार लोगों को हर महीने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 20,000 लीटर मुफ्त पानी दे रही है। पंजाब में भी AAP सरकार ने 1 जुलाई से 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया है।

पंजाब सरकार पर 3 लाख करोड़ रुपये का भारी कर्ज है। कर्ज चुकाने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं, लेकिन वोट के चक्कर में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने मुफ्त बिजली का वादा किया, और उन्होंने चुनाव जीतकर सरकार भी बना ली। अब मुफ्त बिजली देने का वादा पूरा करने के लिए सरकारी खजाने पर 5 हजार करोड़ रुपये का बोझ और पड़ेगा। बिजली कंपनियां सरकार से बिजली की पूरी कीमत वसूलेंगी।

नीति आयोग के सदस्य रमेश चन्द्र ने अप्रैल में कहा था कि अगर भारत में मुफ्त की योजनाएं और लोन माफ करने का सिलसिला चलता रहा तो भारत का हाल भी श्रीलंका जैसा हो जाएगा। झारखंड की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इशारों में इसी तरफ इशारा कर रहे थे। मुफ्तखोरी की आदत देश को कंगाल बना सकती है, जैसा कि श्रीलंका में हुआ। मोदी ने हालांकि श्रीलंका का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी चेतावनी को पड़ोसी देश में हो रही चीजों के आलोक में देखना होगा।

श्रीलंका की आबादी 2.25 करोड़ है जो कि लगभग दिल्ली के बराबर है, लेकिन वहां लोगों के लिए 2 वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो रहा है। उनके पास न खाना है, न रसोई गैस है, न गाड़ियों के लिए पेट्रोल-डीजल है। चावल, गेहूं और बाकी जरूरी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। श्रीलंका में एक किलो मिल्क पाउडर की कीमत 2900 रुपये है। एक लीटर पाम ऑयल या सरसों का तेल 3000 रुपये में मिल रहा है। एक किलो टमाटर की कीमत 800 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक है। आटे की कीमत 400 से 500 रुपये प्रति किलो है और चावल 600 रुपये किलो बिक रहा है। इंडिया टीवी के संवाददाता टी. राघवन, जो कि अभी कोलंबो में हैं और ग्राउंड जीरो से लगातार लाइव रिपोर्टिंग कर रहे हैं, ने बताया कि LPG के एक सिलेंडर की कीमत 5000 रुपये हो गई है और वह भी आसानी से नहीं मिल रहा है। एक सिलेंडर के लिए 12-12 दिन तक इंतजार करना पड़ता है, लाइन में लगना पड़ता है। आम लोगों को सिर्फ 3 लीटर पेट्रोल दिया जा रहा है और उसके लिए भी लोग 10-10 दिन तक लाइन में खड़े रहने को मजबूर हैं।

ये तथ्य वास्तव में चिंताजनक हैं और श्रीलंका तेजी से राष्ट्रव्यापी अराजकता के दौर की तरफ बढ़ रहा है। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे भागकर मालदीव चले गए हैं, हजारों प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और सरकारी टीवी के हेडक्वॉर्टर पर कब्जा कर लिया है। आम जनता देश की बर्बादी के लिए राजपक्षे परिवार को जिम्मेदार ठहरा रही है।

राजपक्षे परिवार में गोटाबाया राष्ट्रपति थे, महिंदा प्रधानमंत्री थे, महिंदा के भाई चमल राजपक्षे सिंचाई मंत्री थे, उनके भाई तुलसी राजपक्षे वित्त मंत्री थे, और महिंदा के बेटे नमल राजपक्षे खेल मंत्री थे। कुल मिलाकर श्रीलंका पर पूरी तरह राजपक्षे परिवार का कब्जा था। राजपक्षे ने टैक्स को कम किया, लोकलुभावन योजनाओं को लागू किया, सरकार की आमदनी घटी तो खूब नोट छापे, विदेशों से और उनमें भी खासतौर पर चीन से अरबों डॉलर का कर्ज लिया गया। सरकार अब दिवालिया हो चुकी है। अधिकांश नेता या तो देश छोड़कर भाग गए हैं या छिप गए हैं।

श्रीलंका में जो हुआ उससे हम भारतीयों को सीखने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार राजनीति में परिवारवाद की बात करते हैं। वह कहते है कि वंशवाद की राजनीति ने देश का बड़ा नुकसान किया है। दूसरी बात जो मोदी कहते हैं कि मुफ्त में पानी-बिजली का वादा करके चुनाव तो जीते जा सकते हैं लेकिन लंबे समय में विकास पर इसका असर विकास पर पड़ता है। जब सरकार का खजाना खाली हो जाता है, लोगों की वेलफेयर स्कीम्स बंद हो जाती हैं तो जनता में नाराजगी बढ़ती है और वह सड़क पर उतर जाती है, जैसा कि हमने श्रीलंका में देखा। सरकार पर, सेना पर, अफसरशाही पर राजपक्षे परिवार के लोगों का कब्जा था। लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए श्रीलंका की सरकारों ने भी मुफ्त में उपहार बांटने शुरू किए। नतीजा यह हुआ कि श्रीलंका की 2.5 करोड़ की आबादी में से 25 लाख लोगों के पास खाने को कुछ नहीं है, उन्हें एक बार भी खाना नहीं मिल रहा।

बाकी जो आबादी है, जो कि मुख्य रूप में मिडिल और लोअर मिडिल क्लास से ताल्लुक रखती है, वह भी सिर्फ एक वक्त की रोटी का जुगाड़ मुश्किल से कर रही है। बिस्किट का एक पैकेट 150 रुपये और एक लीटर दूध 500 रुपये का मिल रहा है। मतलब बच्चों के लिए दूध और बिस्किट का इंतजाम करना भी मुश्किल है। परिवारवाद और मुफ्तखोरी की राजनीति किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए श्राप हैं। श्रीलंका तेजी से अराजकता की तरफ बढ़ रहा है। हमें श्रीलंका के हालात से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 12 जुलाई, 2022 का पूरा एपिसोड

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