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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'आप की अदालत' में शशि थरूर बोले- मैं ऐसा राजनेता नहीं जो आखिर तक राजनीति करूंगा, पोते-पोतियों के साथ खेलना चाहूंगा

'आप की अदालत' में शशि थरूर बोले- मैं ऐसा राजनेता नहीं जो आखिर तक राजनीति करूंगा, पोते-पोतियों के साथ खेलना चाहूंगा

'आप की अदालत' में शशि थरूर ने कहा कि मैं इस तरह का राजनेता नहीं हूं जो अंत तक राजनीति करता रहूंगा। इस दौरान उन्होंने सुनंदा पुष्कर के साथ अपने संबंधों के बारे में बात की।

Shashi Tharoor- India TV Hindi Image Source : INDIA TV शशि थरूर

नई दिल्ली: इस बार आप की अदालत के कार्यक्रम में कटघरे में कांग्रेस सांसद शशि थरूर थे। उन्होंने इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के सवालों के खुलकर जवाब दिए। उन्होंने कहा, 'मैं इस तरह का राजनेता नहीं हूं जो अंत तक राजनीति करता रहूंगा। जब आपको पता चले कि आप लोगों को जिंदगी में जितना फर्क लाना चाहते हैं उसमें कामयाब नहीं हो रहे हैं, तो मैं इससे अलग हटकर क्रिकेट देखना चाहूंगा, किताबें पढ़ना चाहूंगा या अपने पोते-पोतियों के साथ खेलना चाहूंगा। वह वक्त कब आएगा, यह मैं तय करूंगा। यह मैं तय करूंगा कि ये 2024 में करना है या आज से 5 या 6 साल बाद। इस बारे में मैंने सोच रखा है।’

कांग्रेस सांसद ने सुनंदा पुष्कर के साथ अपने संबंधों के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘यह एक प्यार का रिश्ता था। प्राकृतिक तौर पर देखें तो एक कश्मीरी पंडित और एक केरलवासी का क्या मेल हो सकता है? हमने प्यार में पड़ने के बाद शादी की लेकिन कुछ लोगों ने उनके देहांत के बाद इसका राजनीतिक इस्तेमाल करने की कोशिश की। आपको पता है कि इस मामले में मुझे कई साल तक कोर्ट जाना पड़ा, और अंत में जज ने मामले को बिल्कुल खारिज करते हुए कहा कि ‘यह क्या बकवास है’, न कोई सबूत है कि आत्महत्या हुई है, न ही मर्डर का कोई सबूत है। जज ने मुझे यह कहते हुए बरी किया कि इस मामले में तो केस ही नहीं बनता। केस को खत्म कर देना चाहिए।’

मैंने तो कभी अपने बच्चों पर भी हाथ नहीं उठाया: शशि थरूर

शशि थरूर ने कहा, ‘सोचिए कैसा लगता होगा। जो लोग मुझे जानते हैं उन्हें पता है कि मैं ऐसे किसी पर हमला नहीं कर सकता। मैंने तो कभी अपने बच्चों पर भी हाथ नहीं उठाया। उनके दो भाई, और इकलौता बेटा, वे सारे मेरे साथ हैं और कहते हैं कि हम जानते हैं कि ये नहीं हो सकता है। लेकिन बाहर के लोग, जो हमें जानते भी नहीं थे उन्हें एक राजनीतिक मौका दिख गया। पहले के वक्त में हमारी राजनीति में ऐसे किसी की पर्सनल लाइफ पर बोलना या टिप्पणी करना अच्छा नहीं माना जाता था। कोई भी किसी दूसरे नेता के व्यक्तिगत जीवन पर नहीं बोलता था। बहुत सारे लोग हैं जो वाजपेयी साहब की प्राइवेट लाइफ के बारे में जानते थे। वे उस बारे में आपस में तो बात करते थे, लेकिन कभी मीडिया का इस्तेमाल नहीं किया। लेकिन मेरा ख्याल है कि आजकल हमारा कल्चर बुरी तरह से बदल गया है।’

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