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Hindi News भारत राजनीति अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति घोटाले के ‘सरगना’, अनुराग ठाकुर ने साधा निशाना

अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति घोटाले के ‘सरगना’, अनुराग ठाकुर ने साधा निशाना

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और अनुराग ठाकुर ने सवाल किया , “अरविंद केजरीवाल और विजय नायर के बीच क्या संबंध है? क्या नायर की मौजूदगी में आबकारी नीति बनाई गई? सिसोदिया मुख्य आरोपी हो सकते हैं, लेकिन केजरीवाल सरगना हैं।”

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का केजरीवाल पर हमला- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का केजरीवाल पर हमला

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले में गिरफ्तार आरोपी विजय नायर से अपने संबंध के बारे में बताना चाहिए। मुख्य अतिथि के रूप में चौथे ‘Y20’ सम्मेलन में भाग लेने पुणे आए ठाकुर ने आरोप लगाया कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मुख्य आरोपी हो सकते हैं, लेकिन केजरीवाल इस मामले में “सरगना” है। बता दें कि मनीष सिसोदिया को भी इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। 

क्या नायर की मौजूदगी में आबकारी नीति बनाई?
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और अनुराग ठाकुर ने सवाल किया , “अरविंद केजरीवाल और विजय नायर के बीच क्या संबंध है? क्या नायर की मौजूदगी में आबकारी नीति बनाई गई? सिसोदिया मुख्य आरोपी हो सकते हैं, लेकिन केजरीवाल सरगना हैं।” प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार, इस मामले में गिरफ्तार किए गए आम आदमी पार्टी (आप) के पदाधिकारी नायर के पास कथित तौर पर शराब के एक गिरोह की ओर से रिश्वत पहुंचाई गई थी।

दिल्ली आबकारी नीति में क्या घोटाला हुआ? 
आरोप है कि ‘साउथ ग्रुप’ ने अब निरस्त कर दी गयी दिल्ली आबकारी नीति 2020-21 के तहत राष्ट्रीय राजधानी के बाजार में अधिक हिस्सेदारी हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) को करीब 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। ईडी ने इस मामले में अभी तक दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और AAP नेता मनीष सिसोदिया समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। 

ऐसे आरोप हैं कि दिल्ली सरकार की शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 की आबकारी नीति से कारोबारियों को सांठगांठ करने का अवसर दिया गया और कुछ डीलरों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, जिन्होंने इसके लिए कथित तौर पर घूस दी। बाद में यह नीति रद्द कर दी गयी और दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत आरोपियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया।

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