A
Hindi News लाइफस्टाइल सैर-सपाटा गोरखपुर के इस मंदिर की रहस्यमयी कहानी कर देगी आपको हैरान, कुल्हाड़ी मारने पर पत्थर से बहने लगा था खून

गोरखपुर के इस मंदिर की रहस्यमयी कहानी कर देगी आपको हैरान, कुल्हाड़ी मारने पर पत्थर से बहने लगा था खून

यूपी के गोरखपुर शहर में भगवान शिव का एक मंदिर है। यह स्वयंभू शिवलिंग झारखंडी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की कहानी बेहद दिलचस्प है।

Mahadev Jharkhandi Mandir - India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM Mahadev Jharkhandi Mandir

गोरखपुर में स्थित महादेव झारखंडी मंदिर भोलेनाथ के भक्तों के दर्शन के लिए मुख्य केंद्र है। सावन के महीने में अलग अलग राज्यों से लाखों के ऊपर शिव भक्त यहाँ बाबा भोले का आशीर्वाद लेने आते हैं। इस मंदिर के पास बहुत बड़ा मेला लगता है। शिव भक्तों को एक बार इस मंदिर में जाकर दर्शन ज़रूर करना चाहिए। आपको यह जानकार हैरानी होगी लेकिन इस मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है। 

कैसे पड़ा झारखंडी नाम?

झारखंडी महादेव मंदिर के पुजारी के अनुसार पहले यहां चारों तरफ जंगल था। इस शिवलिंग पर कुल्हाड़ी के कई निशान मौजूद है। जंगल होने के कारण ये शिवलिंग हमेशा पत्तों से ढका रहता था। इसीलिए मंदिर का नाम महादेव झारखंडी मंदिर पड़ा।

पत्थर से निकला था खून

बताया जाता है कि लकड़हारे यहां से लकड़ी काटकर ले जाते थे। एक बार एक लकड़हारे को लकड़ी काटते समय कुल्हाड़ी के प्रहार से पत्थर से खून निकलता दिखाई दिया।  इसके बाद वह लकड़हारा जितनी बार उस शिवलिंग को ऊपर लाने की कोशिश करता वो उतना ही नीचे धंसता जाता। जिसके बाद जमीदार को सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिए और शिवलिंग होने की बात बताई। काफी दिनों दुग्धाभिषेक के बाद ही शिवलिंग बाहर निकल पाया था।

दिल्ली से कुछ ही दूर इन खूबसूरत जगहों पर जाकर साल 2022 को कहें अलविदा, नए साल को बनाएं हमेशा के लिए यादगार

पीपल के पेड़ पर है शेषनाग की आकृति

शिवलिंग के बगल में ही एक विशालकाय पीपल का पेड़ है। यह पांच पेड़ों को मिलाकर उगा हुआ है। जिस वजह से इस पीपल की जड़ के पास शेषनाग की आकृति बन गई है।  इसलिए इसे शेषनाग का स्वरूप मान कर पूजा की जाती है। ये आकृति भी लोगों की आस्था का केंद्र है।

मंदिर के ऊपर नहीं है कोई छत

झारखंडी महादेव मंदिर में शिव लिंग खुले आसमान में है। जी हां, खास बात है कि इस मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है। कई बार शिवलिंग के ऊपर छत डालने की कोशिश की गई, लेकिन किसी न किसी कारण से वह पूरी नहीं हुई। उसके बाद शिवलिंग को खुले में ही छोड़ दिया गया है और उसके ऊपर पीपल के पेड़ की छांव ही रहती है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

New Year Celebration Destination: सड़कों पर बर्फ, जमे हुए झरने, चारों तरफ स्वर्ग सा नजारा

नए साल पर सिर्फ 3 हज़ार में घूम सकते हैं साउथ का ये मशहूर हिल स्टेशन, IRCTC का यह टूर पैकेज है घुमक्कड़ों के लिए बेहद ख़ास

नए साल पर बर्फ की चादरों से ढका गुलमर्ग, शहर हुआ सैलानियों से गुलज़ार

 

Latest Lifestyle News