A
Hindi News धर्म त्योहार Govind Dwadashi 2024: गोविंद द्वादशी का व्रत करने से मिलती है श्री हरि की विशेष कृपा, यहां जानिए मंत्र, तिथि और पूजा मुहूर्त

Govind Dwadashi 2024: गोविंद द्वादशी का व्रत करने से मिलती है श्री हरि की विशेष कृपा, यहां जानिए मंत्र, तिथि और पूजा मुहूर्त

Govind Dwadashi 2024: हिंदू धर्म में गोविंद द्वादशी का खास महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं गोविंद द्वादशी की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में।

Govind Dwadashi 2024- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Govind Dwadashi 2024

Govind Dwadashi 2024: 21 मार्च को गोविंद द्वादशी का व्रत किया जाएगा। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादशी को गोविंद द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत कर भगवान विष्णु की गोविंद नाम से पूजा की जाती है। आज के दिन षोडशोपचार या पंचोपचार के द्वारा भगवान विष्णु का विधिवत पूजन करें। चंदन, अक्षत, तुलसी दल व पुष्प को श्री गोविंद व श्री हरि बोलते हुए भगवान को अर्पित करने चाहिए। इसके बाद भोग लगाकर आरती करना चाहिए। गोविंद द्वादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के मंत्र का जप करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। मंत्र इस प्रकार है- 'ॐ नारायणाय नम'। इसके अलावा फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादशी को नृसिंह द्वादशी भी मनाने का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु की नृसिंह स्वरूप की पूजा की जाती है। 

गोविंद द्वादशी पूजा मुहूर्त

द्वादशी तिथि आरंभ- 21 मार्च को प्रातः 2 बजकर 23 मिनट से 
द्वादशी तिथि समाप्त- 22 मार्च को शाम 4 बजकर 44 मिनट तक

गोविंद द्वादशी का महत्व

 जगत का पालन करने वाले श्री गोविंद का स्वरूप शांत और आनंदमयी है। इनका स्मरण करने से भक्तों के जीवन के समस्त संकटों का निवारण होता है। घर-परिवार को धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से मानव जीवन के समस्त समस्याएं दूर हो जाती हैं और अंत में बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती। 

 नृसिंह द्वादशी पूजा विधि और महत्व

पूजा के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनकर, ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को साफ करके, उस कोने को गाय के गोबर से लीपकर, उस पर आठ पंखुड़ियों वाला कमलदल बनाएं। फिर उस कमल के बीचों-बीच एक कलश स्थापित करें और कलश के ऊपर एक चावलों से भरा हुआ बर्तन रखें। अब उस चावलों से भरे बर्तन के ऊपर भगवान नृसिंह की प्रतिमा रखें और पूजन विधि आरंभ करें। सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं। फिर चंदन, कपूर, रोली, तुलसीदल, फल-फूल, पीले वस्त्र आदि भगवान को भेंट करें और फिर धूप दीप आदि से भगवान की पूजा करें। साथ ही भगवान
नृसिंह के इस मंत्र का जप करें। मंत्र इस प्रकार है- 'ॐ उग्रवीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखं। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥' इस दिन इस मंत्र का जप करने से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। आपको किसी प्रकार का कोई भय नहीं होगा। आपको कोई बुरी शक्ति परेशान नहीं कर पाएगी।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

ये भी पढ़ें-

Khatu Shyam Janmotsav 2024: इस दिन मनाया जाएगा बाबा खाटू श्याम का जन्मोत्सव, इन मंत्रों से करें पूजा, बनेंगे सारे बिगड़े काज

अयोध्या राम मंदिर के अलावा ये भी हैं पौराणिक स्थान, दर्शन मात्र से मिट जाता है कष्ट, मिलता है दोगुना फल