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Hindi News धर्म त्योहार Shabri Jayanti 2024: 3 मार्च को मनाई जाएगी शबरी जयंती, जानिए क्या है इस दिन का धार्मिक महत्व

Shabri Jayanti 2024: 3 मार्च को मनाई जाएगी शबरी जयंती, जानिए क्या है इस दिन का धार्मिक महत्व

भगवान राम की परम भक्त की श्रेणी में माता शबरी की गिनती आज भी होती है। रामायण काल में मां शबरी के बेर के बारे में तो आप सबने सुना ही होगा। अतः कल शबरी जयंती का पर्व है, तो हम आपको बताएंगे इस दिन का क्या है धार्मिक महत्व।

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Shabri Jayanti 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती का पर्व मनाया जाता है। माता शबरी भगवान राम की परम भक्त थीं। यह दिन मां शबरी की श्री राम के प्रति निस्वार्थ भक्ति भाव को समर्पित है। इस दिन मां शबरी की लोग पूजा करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान के सच्चे भक्तों की सेवा-सत्कार करने मात्र से प्रभु प्रसन्न हो जाते हैं। अतः इस मान्यता के अधार पर इस दिन लोग माता शबरी की वंदना करते हैं और भक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आइए जानते हैं इस बार शबरी जयंती की तिथि कब से कब तक रहेगी।

शबरी जयंती की तिथि

  • शबरी जयंती- 3 मार्च 2024 दिन रविवार
  • सप्तमी तिथि प्रारंभ- 2 मार्च 2024 दिन शनिवार सुबह 7 बजकर 53 मिनट से शुरू।
  • सप्तमी तिथि समापन- 3 मार्च 2024 दिन रविवार सुबह 8 बजकर 44 मिनट पर समाप्ति।

शबरी जयंती का धार्मिक महत्व

भगवान राम की परम भक्तों की श्रेणी में जानी जाती हैं माता शबरी। रामायण के दौरान जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काट रहे थे। तब वह शबरी माता के आश्रम पधारे और उनको दर्शन दिए थे। शबरी माता ने भक्ति भाव से भगवान राम को बेर खिलाए थे, लेकिन उन्होंने पहले बेर को चखा क्योंकि वह चतिंत थीं कि प्रभु जो बेर खाएं वह मीठे होने चाहिए न की खट्टे। इस कारण उन्होंने बेर को चखा और जो मीठे बेर निकले उसे भगवान राम को खाने के लिए दिया। भगवान राम ने बिना संकोच प्रेम पूर्वक बेर को अंनदित हो कर खाया। शबरी जयंती वही दिन है जब भगवान राम उनके आश्रम पधारे थे और बेर खाए थे।

इस जगह है शबरी माता का आश्रम

वर्तमान समय में यह स्थान कर्नाटक राज्य में रामदुर्ग से लगभग 14 किलोमीटर दूर गुन्नगा गांव के पास सुरेबान में स्थिति है। यहीं माता शबरी रहा करती थीं। इसका वर्णन वाल्मिकी रामायण में भी आता है, रामायण काल में यह स्थान ऋष्यमूक पर्वत नाम से जाना जाता था। शबरी माता की यहां वन शंकरी और शाकंभरी देवी के रूप में पूजा की जाती है। माता शबरी अपने गुरु के आश्रम के पास एक कुटिया में रहती थीं। इनके गुरु का नाम मातंग ऋषि था।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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