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Hindi News वायरल न्‍यूज छत्रपति शिवाजी की कुल कितनी पत्नियां थी? बहुत ही कम लोगों को पता होगी ये बात

छत्रपति शिवाजी की कुल कितनी पत्नियां थी? बहुत ही कम लोगों को पता होगी ये बात

शिवाजी के वैवाहिक जीवन के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। इतिहास को अगर आप गहराई से पढ़ेंगे तब ही आपको पता चलेगा कि शिवाजी ने एक नहीं बल्कि कई शादियां की थी। आइए जानते हैं कि उनकी कुल कितनी पत्नियां थीं।

छत्रपति शिवाजी महाराज।- India TV Hindi Image Source : SOCIAL MEDIA छत्रपति शिवाजी महाराज।

मुगल शासक औरंगजेब की नाक में दम कर देने वाले माराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को कौन नहीं जानता। इनके शासन में पूरे भारत में मराठा काल का उदय हुआ और एकसमय ऐसा भी आया जब मुगल शासकों को अपनी सुरक्षा के लिए मराठाओं पर निर्भर होना पड़ा। 1674 में जब शिवाजी का राज्यभिषेक हुआ तब उन्हें छत्रपति की उपाधी दी गई। गुरिल्ला युद्ध में शिवाजी को महारत हासिल थी। वैसे तो शिवाजी के बारे में आप बहुत कुछ जानते होंगे। लेकिन ये जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी की शिवाजी की कितनी पत्नियां थी। उन लोगों को ही पता होगा जिन्होंने शिवाजी और इतिहास का गहन अध्ययन किया होगा। बाकी अन्य लोगों को यह बात नहीं पता होगी।

शिवाजी की कितनी पत्नियां थी

तो चलिए अब आपको बताते है कि शिवाजी की कुल 8 पत्नियां थी। उन्होंने कुल 8 शादियां की थी। उनकी पहली शादी 14 मई 1640 में सईबाई निंबालकर के साथ हुई थी। जिनसे उन्हें 4 संताने हुईं। वीर सम्भाजी सईबाई निंबालकर के ही बेटे थे। उनकी दूसरी पत्नी का नाम सोयराबाई मोहिते था। जिनसे उन्हें दो संतानें हुईं। तीसरी पत्नी का नाम सकवरबाई गायकवाड था। जिनसे उनकी एक बेटी हुई थी। शिवाजी की चौथी पत्नी की नाम सगुणाबाई शिर्के था। इनसे भी शिवाजी को एक बेटी हुई थी। पांचवी पत्नी का नाम पुतलाबाई पालकर था। छठवीं का नाम काशीबाई जाधव, सातवीं पत्नी लक्ष्मीबाई विचारे थीं और उनकी आठवीं पत्नी का नाम गुंवांताबाई इंगले था।

Image Source : Social Mediaछत्रपति शिवाजी महाराज।

क्यों की थी इतनी शादियां

अब आपको बता देते हैं कि वीर शिवाजी ने 8 शादियां क्यों की थी? शिवाजी सभी मराठाओं को एक साथ लाना चाहते थे। अब उन्हें अलग-अलग मराठाओं के सरदारों को अपने साथ लाने के लिए उनसे संबंध स्थापित करने पड़े। इसलिए उन्होंने वैवाहिक राजनीति के जरिए सभी मराठा सरदारों को एक छत्र के नीचे लाए। आखिरकार सभी मराठा सरदारों ने वीर शिवाजी को अपना राजा और रक्षक माना और मुगल शासन के खिलाफ अपनी तलवारें उठाई।

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