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ISIS सरग़ना बग़दादी ख़ुद को पैग़बर के क़रीब क्यों बताता है...'

नई दिल्ली: इतिहास गवाह है कि दुनियां में जब भी कोई तानाशाह या सिरफ़िरा दहशतगर्द आया उसने किसी न किसी रुप में धर्म का सहारा लिया, वो धर्म जो एक आम इंसान की सबसे बड़ी

ISIS सरग़ना बग़दादी ख़ुद...- India TV Hindi ISIS सरग़ना बग़दादी ख़ुद को पैग़बर के क़रीब क्यों बताता है...?

नई दिल्ली: इतिहास गवाह है कि दुनियां में जब भी कोई तानाशाह या सिरफ़िरा दहशतगर्द आया उसने किसी न किसी रुप में धर्म का सहारा लिया, वो धर्म जो एक आम इंसान की सबसे बड़ी कमज़ोरी होती और यही कमज़ोरी तानाशाह या दहशतगर्द की सबसे बड़ी ताक़त बन जाती है।

शायद यही वजह है कि आईएसआईएस के सरग़ने अबु बकर अल बग़दादी ने भी समय की कसौटी पर ख़रे उतरे इस सूत्र को अपनाकर ख़ुद को पैग़ंबर के क़रीब बता दिया।

“मैं पैगंबर के सबसे करीब हूं। इसीलिए आपके भी सबसे क़रीब हूं। मैं ऐसे कुरैशी कबीले से आता हूं जो पैगंबर के सबसे ज्यादा करीब था।”
बग़दादी के ये वो शब्द हैं जो अंधे कुएं की दीवारों से टकराकर सैकड़ों नौजवानों के दिलोदिमाग़ में गूंज रहे हैं। इसका ऐसा असर हुआ है कि धर्म से नाता न रखने वाले भी नौजवान हथियार उठाकर मानव बम बनने को तैयार हैं।

बग़दादी 1971 में बग़दाद के पास समारा में पैदा हुआ था। उसने ओसामा बिन लादेन के अल-कायदा में ट्रेनिंग ली लेकिन अब अल-कायदा समेत सभी आतंकवादी संगठन पर अपनी बादशाहत जमाने का मंसूबा देख रहा है। यानी खुद को आतंक की दुनियां का ख़लीफा बनाना चाहता है।

कोई भी आतंकी संगठन धन के बग़ैर अपनी पैट नहीं जमा सकता। बग़दादी के बैंक की ताकत उसकी करेंसी भी है। बग़दादी न सिर्फ़ आईएसआईएस की जड़े फ़ैला रहा है बल्कि उसका रुतबा भी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसी कोशिश में उसने अपना सिक्का तक डिजाइन करवाया है। उसने 2014 से ही इराक़ के सरकारी बैंकों पर कब्जा जमाकर उनका पैसा भी उसने अपनी जेब में डालने की तैयारी कर ली थी।

कैसे लूटा बग़दादी ने सरकारी बैंकों को, पढ़ें अगले पेज पर

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