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पाकिस्तान जूझ रहा है जाति,संप्रदाय के पूर्वाग्रह से

इस्लामाबाद: भारत ही ऐसा देश नही है जहां विभिन्न आस्थाएं अक़्सर विवाद यहां तक कि दंगो का सबब बन जाती हैं। ये महामारी पाकिस्तान में भी विराजमान है जहां धर्म-संप्रदाय आधारित पूर्वाग्रह पाकिस्तान के जन्म

पाकिस्तान जूझ रहा है...- India TV Hindi पाकिस्तान जूझ रहा है जाति,संप्रदाय के पूर्वाग्रह से

इस्लामाबाद: भारत ही ऐसा देश नही है जहां विभिन्न आस्थाएं अक़्सर विवाद यहां तक कि दंगो का सबब बन जाती हैं। ये महामारी पाकिस्तान में भी विराजमान है जहां धर्म-संप्रदाय आधारित पूर्वाग्रह पाकिस्तान के जन्म से अस्तित्व में हैं। ये पूर्वाग्रह जनरल ज़िया-उल-हक़ के शासनकाल और अमेरिका पर 9/11 हमले के बाद और मज़बूत होते चले गए।

डॉन में छपी एक ख़बर के अनुसार हाल ही में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर एक कर्वे किया गया है जिसका शीर्षक है ‘लिविंग इन फ़ियर: पाकिस्तान्स अनइक्वल सिटिज़न्स।'

ये रिपोर्ट एशिया फ़ाउंडेशन और पैटन डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन ने तैयार की है। इसे मंगलवार को लॉंच किया गया है।

“सर्वे में जिनसे बात की गई उनमें से 95 फ़ीसद से ज़्यादा लोगों ने कहा कि सभी नागरिकों से एक जैसा व्वहार किया जाना चाहिये। 80 फ़ीसद मुसलमानों का कहना है कि संविधान हमें समानता की गारंटी देता है।

रिपोर्ट के अनुसार “ दो तिहाई मुसलमानों, ग़ैर मुसलमानों, अधिकारियों और सांसदों का मानना है कि जिन सरकारी अधिकारियों को ग़ैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों की हिफ़ाज़त करने की ज़िम्मेदारी दी गई है वे अपना काम ठीक (ज़िम्मेदारी) से नहीं कर रहे हैं।”

सर्वे में अगस्त में नैशनल असैंबली द्वारा पारित उस प्रस्ताव का ज़िक्र किया गया है जिसमें सिफ़ारिश की गई है कि क़ायद-ए-आज़म के कॉंस्टीट्यूट असैंबली में 11 अगस्त 1947 को दिये गए भाषण को देश के भविष्य के लिये “रोड मैप” माना जाय।

इस भाषण में देश के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने घोषणा की थी कि पाकिस्तान में सभी नागरिक बराबर होंगे और सरकार का उनकी धार्मिक आस्था से कोई सरोकार नहीं होगा।

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