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जापान ने समुद्र में बना डाली सुरंग, परमाणु संयंत्र से जुड़ा मामला होने के चलते विरोध में खड़े हुए कई देश

जापान के बर्बाद हो चुके फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से रेडियोधर्मी जल को समुद्र में छोड़े जाने को लेकर विवाद हो गया है। जापान इसे उपचारित करके समुद्र में सुरंग बनाकर छोड़ने का ट्रायल शुरू कर चुका है। मगर मछुआरों समेत पड़ोसी देश इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं।

प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi Image Source : FILE प्रतीकात्मक फोटो

जापान फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के जल को समुद्र में छोड़ना चाह रहा है। जबकि इसके रेडियोधर्मी होने की वजह से समुद्री जीवों के मृत हो जाने का खतरा है। हालांकि जापान का कहना है कि वह इसे शोधित करके समुद्र में डालेगा। इसके लिए उसने समुद्र के अंदर तट से 1 किलोमीटर की दूरी पर सुरंग भी बना डाली है। मगर तमाम देश इसके विरोध में खड़े हो गए हैं। मामला जापान के बर्बाद फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से जुड़ा है। इसके संचालक ने उपचारित रेडियोधर्मी अपशिष्ट जल को समंदर में छोड़ने के लिए नव निर्मित केंद्रों का सोमवार को परीक्षण शुरू कर दिया है। इस कदम का स्थानीय मछुआरा समुदाय और पड़ोसी देशों ने कड़ा विरोध किया है।

संचालक ‘तोक्यो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी होल्डिंग्स’ (टीईपीसीएच) ने कहा कि फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र में परीक्षण के दौरान उपचारित पानी की जगह ताज़े पानी का इस्तेमाल किया गया है। संयंत्र के कर्मचारियों ने नव निर्मित केंद्र में पंप और आपात स्थिति में बंद करने वाले उपकरण का परीक्षण किया। इस केंद्र में उपचारित पानी में बड़ी मात्रा में समुद्र का जल मिलाया जाएगा। इसके बाद यह पानी समंदर के नीचे बनी सुरंग में जाएगा और फिर इसे तट से करीब एक किलोमीटर दूर सागर में छोड़ दिया जाएगा। समंदर के नीचे बनाई गई सुरंग और अन्य अहम केंद्र करीब करीब पूरे होने वाले हैं।

संचालक ने कहा-दो हफ्ते तक परीक्षण करेंगे

टीईपीसीओ ने कहा है कि यह परीक्षण करीब दो हफ्ते तक जारी रह सकता है और इसके बाद परमाणु विनियमन प्राधिकरण अनिवार्य पूर्व परिचालन जांच कर सकता है जो संभवत: जुलाई के शुरू में हो। जापान की सरकार ने अप्रैल 2021 में अपनी इस योजना का ऐलान किया था कि उपचारित लेकिन थोड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी युक्त पानी को समुद्र में छोड़ा जाएगा। उसका कहना था कि यह सुरक्षित स्तर पर है। जापान के अधिकारियों ने कहा कि पानी को फिलहाल संयंत्र में हज़ारों टंकियों में रखा गया है और अगर भूकंप आता है तो दुर्घटनावश पानी लीक होने से रोकने के लिए इसे यहां से हटाने की जरूरत है। इस योजना का स्थानीय मछुआरे समुदाय ने कड़ा विरोध किया है। वहीं दक्षिण कोरिया, चीन और प्रशांत द्वीप के राष्ट्रों ने भी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। मार्च 2011 में भूकंप और सुनामी ने फुकुशिमा दाइची संयंत्र की ‘कूलिंग प्रणाली’ को तबाह कर दिया था जिससे तीन रिएक्टर पिघल गए थे और बड़ी संख्या में रेडिएशन लीक हुआ था।

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