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भारतीय अर्थव्यवस्था में 2020-21 में 4 प्रतिशत गिरावट का अनुमान: एडीबी

2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 5 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: June 18, 2020 19:23 IST
GDP growth projection- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

GDP growth projection

नई दिल्ली। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा है और चालू वित्त वर्ष में इसमें चार प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है। एडीबी ने अपने ‘एशियाई विकास आउटलुक’ (एडीओ) पर जारी रिपोर्ट में यह भी कहा कि इतना ही नहीं विकासशील एशिया का हिस्सा रहे देश 2020 में ‘मुश्किल ही वृद्धि’ कर पाएंगे। हालांकि, चीन के बारे में कहा गया है कि वहां 2020 में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी जो 2019 के 6.1 प्रतिशत के मुकाबले काफी कम है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही (31 मार्च 2020 को समाप्त तिमाही) में धीमी पड़कर 3.1 प्रतिशत रही। यह 2003 के बाद सबसे धीमी वृद्धि है। पूरे वित्त वर्ष में वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रही। निवेश और निर्यात दोनों में गिरावट दर्ज की गयी।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई) जैसे सभी संकेतक गिरावट का संकेत दे रहे हैं। पीएमआई अप्रैल में अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर रहा। शहरों में नौकरी से हाथ धोने के बाद प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांवों को लौटे हैं। ऐसा लगता है कि पाबंदियों में ढील के बावजूद उनके शहरों में लौटने की गति धीमी होगी। ऐसे में जीडीपी में 2020-21 में 4 प्रतिशत की गिरावट आएगी। हालांकि, अगले वित्त वर्ष 2021-22 में इसमें 5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।’’

इससे पहले, एडीबी ने तीन अप्रैल को प्रकाशित अपनी सालाना रिपोर्ट एडीओ में भारत की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में कम होकर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। इसका कारण कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य के मोर्चे पर आपात स्थिति थी। एशियाई विकास बैंक के अनुसार विकासशील एशिया की वृद्धि दर 2020 में 0.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह अप्रैल में दिए गये 2.2 प्रतिशत के अनुमान से कम है। वृद्धि का नया अनुमान 1961 के बाद सबसे कम है। पूरक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में वृद्धि 6.2 प्रतिशत रहेगी जो अप्रैल में जताये गये अनुमान के बराबर है।

विकासशील एशिया से आशय 40 देशों के समूह से है जो एडीबी के सदस्य हैं। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं पर इस साल कोविड-19 का असर बना रहेगा। भले ही लॉकडाउन में धीरे-धीरे राहत दी जा रही है और चुनिंदा कारोबारी गतिविधियों को नए हालातों में दोबारा शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम 2021 में उच्च वृद्धि दर देख रहे हैं लेकिन इसका कारण ‘वी’ आकार का पुनरूद्धार (तीव्र गिरावट और फिर तेजी से विकास) नहीं है बल्कि इस साल कमजोर आंकड़े के कारण तुलनात्मक आधार कमजोर होना है। सवादा ने कहा कि सरकारों को कोविड-19 के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिये नीतिगत पहल करनी चाहिए। उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना वायरस महामारी में फिर से तेजी नहीं आये। रपट में कहा गया है कि हांगकांग, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर और ताइपेई जैसी नयी औद्योगिक अर्थव्यवस्था को छोड़कर ‘विकासशील एशिया’ के चालू वर्ष में 0.4 प्रतिशत की दर से और 2021 में 6.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान है।

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