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नोटबंदी के पांच साल बाद भी कम नहीं हो रही चलन में नकदी, 80% अर्थव्‍यवस्‍था हुई औपचारिक

एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में महामारी की अर्थव्यवस्था पर तगड़ी मार पड़ने से नकदी का चलन बढ़कर 14.5 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : November 16, 2021 11:42 IST
After 5 years of demonetisation, cash in circulation at near peak in 2021- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

After 5 years of demonetisation, cash in circulation at near peak in 2021

नई दिल्‍ली। पिछले 5-6 सालों के दौरान अर्थव्‍यवस्‍था के औपचारिक बनने में हुई समग्र वृद्धि के बावजूद अनौपचारिक अर्थव्‍यवस्‍था का मुख्‍य घटक – जीडीपी के प्रतिशत में कैश इन सर्कुलेशन (नकदी)- साल दर साल लगातार बढ़ रहा है। नकदी का चलन साल-दर-साल बढ़ रहा है। एसबीआई रिसर्च की सोमवार को आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के तौर पर चलन में मौजूद नकदी (सीआईसी) वर्ष 2016 को छोड़कर बीते पांच साल में लगातार बढ़ती रही है। चलन में मौजूद नकदी को अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख घटक माना जाता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में करीब 80 फीसदी अर्थव्यवस्था औपचारिक हो चुकी है। इसमें कृषि ऋण समेत हरेक गैर-नकदी घटक की स्थिति सुधरी है।

एसबीआई रिसर्च की यह विस्तृत रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद नकदी का चलन घटकर 8.7 फीसदी तक आ गया था। लेकिन उसके बाद यह बढ़ते हुए इस साल अब तक जीडीपी के प्रतिशत के तौर पर 13.1 प्रतिशत पर पहुंच चुका है। वित्त वर्ष 2020-21 में चलन में मौजूद नकदी का अनुपात 14.5 प्रतिशत रहा था। इस उच्च अनुपात के लिए कोविड-19 से जुड़ी असुरक्षा एवं अनिश्चितताओं को जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2007-08 से लेकर 2009-10 के तीन वर्षों में अर्थव्यवस्था उच्च वृद्धि दर से बढ़ रही थी और उस समय चलन में मौजूद नकदी का अनुपात क्रमशः 12.1 फीसदी, 12.5 फीसदी और 12.4 फीसदी था। अगले पांच वर्षों में भी यह सिलसिला कमोबेश जारी रहा था।

एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में महामारी की अर्थव्यवस्था पर तगड़ी मार पड़ने से नकदी का चलन बढ़कर 14.5 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। रिपोर्ट कहती है कि हालात सामान्य रहते तो वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में जीडीपी की वृद्धि दर कहीं ज्यादा ऊंची रहती और चलन में मौजूद नकदी भी नोटबंदी से पहले के रुझान पर बनी रहती। घोष ने कहा कि अक्टूबर, 2021 में यूपीआई के जरिये 6.3 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 3.5 अरब डिजिटल लेनदेन किए गए। यह राशि सितंबर, 2021 की तुलना में करीब 100 फीसदी और अक्टूबर, 2020 की तुलना में 103 प्रतिशत ज्यादा है। 

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