
ऑटो मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिये फ्लैक्स फ्यूल इंजन बनाना होगा अनिवार्य
नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार जारी बढ़त को देखते हुए सरकार अब कीमतों में नरमी के लिये दूसरे विकल्पों पर अपना फोकस बढ़ा रही है। इसी कड़ी में सरकार फ्लैक्सी फ्यूल के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिये विशेष ईंजन के निर्माण को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय से मंजूरी मिलने के बाद सभी वाहन निर्माताओं के लिए फ्लैक्सीबल- ईंधन के लिये अनुकूल इंजन बनाना अनिवार्य कर देगी। फ्लेक्स-फ्यूल, पेट्रोल और मेथनॉल या एथनॉल को मिलाकर बनने वाला एक वैकल्पिक ईंधन है। गडकरी ने उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार एक एथनॉल अर्थव्यवस्था विकसित करने पर काम कर रही है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा, "हम सभी वाहन निर्माताओं के लिए फ्लेक्स-फ्यूल इंजन (जो एक से अधिक ईंधन विकल्पों पर चल सकते हैं) बनाना अनिवार्य करने जा रहे हैं।" मंत्री ने ब्राजील, कनाडा और अमेरिका के उदाहरण दिये जहां अधिकांश ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लैक्स- ईंधन इंजन वाले वाहनों का निर्माण करती हैं। गडकरी ने कहा, "हमने उच्चतम न्यायलय में एक शपथपत्र दिया है। जब हमें उच्चतम न्यायालय से मंजूरी मिल जाएगी, तब हम सभी वाहन निर्माताओं के लिये ऐसे फ्लैक्सी- ईंधन इंजन बनाना अनिवार्य कर देंगे।" गडकरी ने सुझाव दिया कि सेना को डीजल इंजन वाले वाहनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और एलएनजी, सीएनजी और एथनॉल पर चलने वाले ट्रकों का उपयोग करना चाहिए। मंत्री ने कहा कि एथेनॉल, पेट्रोल और डीजल की तुलना में काफी सस्ता है। उन्होंने कहा कि सरकार एक एथनॉल अर्थव्यवस्था को विकसित करने की दिशा में काम कर रही है और "450 कारखानों ने इसके निर्माण में रुचि दिखायी है।"
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