नयी दिल्ली। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने कहा है कि ग्रासिम इंडस्ट्रीज ने अपने ग्राहकों से भेदभावपूर्ण कीमत वसूल कर, बाजार तक पहुंच ना देकर और उन पर पूरक दायित्व थोपकर एक खास स्टेपल फाइबर की आपूर्ति में अपनी वर्चस्वपूर्ण स्थिति का दुरुपयोग किया है। छह अगस्त के एक आदेश के अनुसार, आयोग ने कंपनी को ऐसे कामों में शामिल होना रोकने और बंद करने का निर्देश दिया, जिनसे प्रतिस्पर्धा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है।
सीसीआई ने कहा कि कंपनी ने "भारत में अपने ग्राहकों से भेदभावपूर्ण कीमत वसूल कर, बाजार तक पहुंच ना देकर और उन पर पूरक दायित्व थोपकर स्पिनरों (सूत कातने वाले) को वीएसएफ आपूर्ति के महत्वपूर्ण बाजार में अपनी वर्चस्वपूर्ण स्थिति का दुरुपयोग किया है।" ग्रासिम इंडस्ट्रीज ने नौ अगस्त को दायर की गयी एक नियामकीय सूचना में कहा, "हालांकि कंपनी को अभी तक उक्त आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन उसका मानना है कि गुण दोष के आधार पर उसके पास अपील के लिए पर्याप्त आधार हैं।"
नियामक ने यह देखते हुए कि मार्च 2020 में समान व्यवहार के संबंध में पारित एक आदेश के माध्यम से कंपनी पर पहले ही 301.61 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है, उसपर कोई वित्तीय जुर्माना नहीं लगाया। आयोग ने कहा कि ग्रासिम इंडस्ट्रीज देश में विस्कोस स्टेपल फाइबर (वीएसएफ) की एकमात्र उत्पादक है और भारत में स्पिनरों को इसकी आपूर्ति के महत्वपूर्ण बाजार में उसकी वर्चस्वपूर्ण स्थिति है। देश में स्पिनरों के लिए वीएसएफ का एकमात्र अन्य स्रोत आयात का माध्यम है, जो आर्थिक रूप से व्यवहार्य विकल्प नहीं है।