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IBC ने 160 कंपनियों को असमय मौत से बचाया, कुल 21136 आवेदन हुए हैं दाखिल

3,74,931.30 करोड़ रुपए के 9,653 मामलों का निपटान उन्हें एनसीएलटी के पास भेजे जाने से पहले ही कर दिया गया।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 16, 2019 15:49 IST
IBC saved 160 cos from premature death- India TV Paisa
Photo:IBC SAVED 160 COS FROM PR

IBC saved 160 cos from premature death

नई दिल्‍ली। दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने 160 कंपनियों को अकाल मृत्यु होने से बचाया है और इसके क्रियान्वयन से आर्थिक वृद्धि एकाध प्रतिशत ऊंची करने में मदद मिली है। भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के चेयरपर्सन एम एस साहू ने कहा कि दिवाला प्रक्रिया के समाधान के तहत कंपनियों का समाधान जिस मूल्य पर हुआ है वह उनको परिसमाप्त करने के अनुमानित मूल्य का 2.10 गुना अधिक है।  

आईबीबीआई के चेयरपर्सन साहू ने कहा कि इस संहिता के तहत जिन कंपनियों का समाधान किया गया है उन्हें अपने परिसमापन मूल्य का 210 प्रतिशत मिला है। यदि कंपनियों का परिसमापन किया जाता तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा 100 प्रतिशत मिलता है। यह 110 प्रतिशत अतिरिक्त बोनस है।

यह संहिता 2016 में लागू हुई थी। इसमें दबाव वाली संपत्तियों की बाजार से संबद्ध और समयबद्ध निपटान की व्यवस्था है। साहू ने सोमवार को कहा कि जिन 160 कंपनियों का समाधान किया गया है उनमें से एक तिहाई या तो निष्क्रिय थीं या औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्गठन बोर्ड (बायफर) के तहत थीं। शेष दो-तिहाई कंपनियां दबाव में थीं और यदि उन पर ध्यान नहीं दिया जाता तो वे बंद हो जातीं। इस संहिता की वजह से 160 कंपनियों को समय से पूर्व बंद होने से पहले बचाया जा सका।  

उन्होंने कहा कि इस संहिता के अपनी सभी खूबियों के साथ क्रियान्वयन से वृद्धि दर को कुछ प्रतिशत अंक बढ़ाया जा सकता है। इससे पहले कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने रविवार को जारी बयान में कहा कि इस संहिता के तहत कुल 21,136 आवेदन दाखिल किए गए हैं। इनमें से 3,74,931.30 करोड़ रुपए के 9,653 मामलों का निपटान उन्हें एनसीएलटी के पास भेजे जाने से पहले ही कर दिया गया।

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