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जून से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार शुरू, अगले 3 महीने में साफ होगी तस्वीर: SBI

कोरोना वायरस की वजह से NPA पर असर लेकिन स्थिति नियंत्रण में

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 10, 2020 21:46 IST
State bank of india- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

State bank of india

नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि जून से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार आना शुरू हो गया है। कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर हुआ है। देश के सबसे बड़े बैंक के प्रमुख का मानना है कि अब अर्थव्यवस्था की हालत सुधर रही है। एसबीआई बैंकिंग और इकनॉमिक्स सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी की पूरी तस्वीर को देखने के लिए अभी तीन से चार महीने का इंतजार करना होगा। कुमार ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कोविड-19 ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी दिक्कतें पैदा की हैं। इसके अलावा इससे आपूर्ति श्रृंखला भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। अप्रैल सबसे खराब महीना रहा। मई में इसमें कुछ सुधार हुआ। जून से अर्थव्यवस्था में रिकवरी शुरू हो गई है।’’

उन्होंने कहा कि इस महामारी से देश के औद्योगिक रुप से अग्रणी राज्य मसलन महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। कुमार ने कहा कि देश में रुक-रुक कर आंशिक लॉकडाउन की घोषणा हुई, इसकी वजह से आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित हुई। यह पूछे जाने पर कि क्या रिजर्व बैंक कर्ज की किस्त के भुगतान पर रोक की छूट को इस साल के अंत तक बढ़ाएगा, कुमार ने कहा, ‘‘समग्र रूप से इसे 31 अगस्त, 2020 के बाद आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्र काफी अधिक प्रभावित हुए हैं। ‘‘मेरा मानना है कि केंद्रीय बैंक इस बारे में पूरी तरह सोच समझ कर ही आगे का फैसला लेगा।’’ चेयरमैन ने कहा कि कोविड-19 प्रसार की वजह से कर्ज चुकाने वालों को जो छूट दी गई उस झटके को बैंक झेलने में सफल रहा। उन्होंने कहा कि एसबीआई के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना वायरस संकट की वजह से उसका एनपीए बढ़ा है लेकिन इसे संभाल लिया जायेगा।

उन्होंने कहा कि लोग अपने देनदारी बढ़ाने के प्रति काफी सतर्क हैं, खासतौर से खुदरा, कृषि और एमएसएमई क्षेत्र में यह सोच देखी गई है। एसबीआई चेयरमैन ने कहा, ‘‘औद्योगिक समूहों ने किस्त भुगतान से रोक के विकल्प को चुना। उनकी मंशा नकदी को बचाने की थी। ऐसा नहीं है कि वह भुगतान नहीं कर पा रहे थे।’’ उन्होंने कहा कि विमानन, होटल और पर्यटन सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र हैं जिन्हें अब मदद की जरूरत है।

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