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दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत रहने का अनुमान, रजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.6% पर रह सकता है सीमित

इकोरैप में राष्ट्रीय कृषि बाजार (इनाम) पर एमएसपी को नीलामी के निचले मूल्य में बदलने की संभावना तलाशने का भी सुझाव दिया गया।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: November 22, 2021 19:05 IST
India's GDP likely to grow 8.1 PC in Q2 FY22- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

India's GDP likely to grow 8.1 PC in Q2 FY22

Highlights

  • एसबीआई के नाउकास्टिंग मॉडल के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.1 प्र
  • वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) की जीडीपी वृद्धि के अनुमान को संशोधित कर अब 9.3 से 9.6 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • एक मूल्य गारंटी के रूप में एमएसपी, जिसकी मांग किसान कर रहे हैं, की जगह सरकार कम से कम पांच साल के लिए मात्रा की गारंटी दे सकत

नई दिल्‍ली। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत रहने और पूरे वित्त वर्ष 2021-21 के दौरान इसके 9.3 से 9.6 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था 20.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रह सकती है। इसके तीसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

एसबीआई की शोध रिपोर्ट ईकोरैप के अनुसार एसबीआई के नाउकास्टिंग मॉडल के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत है। पूरे वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) की जीडीपी वृद्धि के अनुमान को संशोधित कर अब 9.3 से 9.6 प्रतिशत कर दिया गया है। पहले इसके 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में अनुमानित 8.1 प्रतिशत की वृद्धि दर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।

रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कई सुझाव दिए गए। इसमें कहा गया कि एक मूल्य गारंटी के रूप में एमएसपी, जिसकी मांग किसान कर रहे हैं, की जगह सरकार कम से कम पांच साल के लिए मात्रा की गारंटी दे सकती है। इकोरैप में राष्ट्रीय कृषि बाजार (इनाम) पर एमएसपी को नीलामी के निचले मूल्य में बदलने की संभावना तलाशने का भी सुझाव दिया गया।

2021-22 में जीडीपी के 6.6 प्रतिशत पर सीमित रह सकता है रजकोषीय घाटा

रेटिंग एजेंसी फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में विनिवेश लक्ष्य के हासिल नहीं हो पाने की स्थिति में भी केंद्र सरकार राजस्व संग्रह के उम्मीद से बेहतर रहने से राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.6 प्रतिशत के स्तर पर रख सकती है। पिछले हफ्ते ही भारत के परिदृश्य को नकारात्मक बताने के साथ उसकी रेटिंग को 'बीबीबी-' पर यथावत रखने वाली फिच ने कहा है कि मध्यम अवधि में भारत के वृद्धि परिदृश्य से जुड़े जोखिम कम हो रहे हैं। इसमें महामारी के बाद आर्थिक गतिविधियां बहाल होने और वित्तीय क्षेत्र पर दबाव कम होने का योगदान है।

फिच रेटिंग्स के निदेशक (एशिया-प्रशांत) जेरमी जूक ने कहा कि कर्ज बोझ कम करने के लिए मध्यम अवधि में एक विश्वसनीय राजकोषीय रणनीति अपनाना और वृहत-आर्थिक असंतुलन खड़ा किए बगैर निवेश एवं वृद्धि की तीव्र दर होने पर भारत के आर्थिक परिदृश्य को 'स्थिर' किया जा सकता है। जूक ने कहा, ‘‘हमारा पूर्वानुमान है कि केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.6 प्रतिशत पर लाने में सफल रहेगी। इसके पीछे राजस्व संग्रह के उम्मीद से बेहतर रहने का योगदान रहेगा। हालांकि, हमारा यह भी मानना है कि सरकार विनिवेश लक्ष्य से पीछे ही रहेगी।’’ वर्ष 2021-22 के आम बजट में सरकार ने राजकोषीय घाटे (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया था। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में राजकोषीय घाटे का आंकड़ा इस बजट अनुमान के 35 प्रतिशत तक पहुंच चुका था।

यह पूछे जाने पर कि फिच भारत के बारे में अपने रेटिंग परिदृश्य के कब स्थिर होने की उम्मीद करता है तो जूक ने कहा कि नकारात्मक परिदृश्य में बदलाव की कोई समयसीमा नहीं होती है। आमतौर पर दो साल की अवधि में ऐसे परिदृश्य में बदलाव होता है लेकिन उससे ज्यादा वक्त भी लग सकता है। हम भारत की सॉवरेन रेटिंग की साल में दो बार समीक्षा करना चाहते हैं।  उन्होंने कहा कि अगली समीक्षा में निवेश एवं वृद्धि के मोर्चे पर भारत की मध्यम-अवधि प्रगति को ध्यान में रखा जाएगा।

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