Highlights
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 में वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है
- इक्रा ने दूसरी तिमाही के लिये ग्रोथ अनुमान को 7.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया
- यूबीएस ने वित्त वर्ष के लिये ग्रोथ अनुमान को 8.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 9.5 प्रतिशत किया।
नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए देश के वृद्धि दर के अनुमान को बढाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया है। सितंबर में सरकारी खर्च में उछाल को देखते हुए रेटिंग एजेंसी ने अपने अनुमान में यह बदलाव किया है। इक्रा ने इससे पहले चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में वास्तविक वृद्धि दर के 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निचले आधार प्रभाव की वजह से वृद्धि दर 20 प्रतिशत से अधिक रही थी। वही भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 में वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘कोविड-19 की दूसरी लहर के थमने और टीकाकरण में तेजी के बाद औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की गतिविधियां तेज हुई हैं। इससे भरोसा बढ़ा है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र और राज्य सरकार द्वारा खर्च में वृद्धि, मजबूत व्यापारिक निर्यात और कृषि क्षेत्र की निरंतर मांग ने तिमाही में आर्थिक गतिविधियों को सहारा दिया।’’ नायर ने कहा कि कोविड-19 से प्रभावित वित्त वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में सुधार होगा।
इससे पहले स्विस ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस सिक्योरिटीज ने उम्मीद से ज्यादा तेज पुनरुद्धार, उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ने और खर्च में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि अनुमान को संशोधित किया है। ब्रोकरेज कंपनी ने अनुमान दिया कि इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, इससे पहले सितंबर में ग्रोथ का अनुमान 8.9 फीसदी था। वहीं ब्रोकरेज कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-23 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया, जो वित्त वर्ष 2023-24 में छह प्रतिशत रह सकती है। वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक निम्न ब्याज दर की व्यवस्था से होने वाले फायदे खत्म होने के अनुमान के चलते 2023-24 में वृद्धि दर में कमी की बात कही गई। रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, जबकि औसत अनुमान 8.5 से 10 प्रतिशत के बीच है। सरकार का अनुमान करीब 10 फीसदी है।