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Jet Airways फि‍र भरेगी उड़ान, नरेश गोयल की गलतियों की वजह से बंद हुई थी कंपनी

जेट के बेड़े में एक समय 120 विमान थे, जो इसके बंद होने के समय सिर्फ 16 रह गए थे। मार्च 2019 को खत्म हुए वित्त वर्ष में जेट एयरवेज का घाटा 5,535.75 करोड़ रुपए था।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 19, 2020 8:14 IST
Jet Airways' CoC approves Kalrock Capital-Murari Jalan's resolution plan- India TV Paisa
Photo:PTI (FILE)

Jet Airways' CoC approves Kalrock Capital-Murari Jalan's resolution plan

नई दिल्‍ली। बंद पड़ी देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन जेट एयरवेज एक बार फि‍र उड़ान भरने की तैयारी कर रही है। ऋण बोझ से बंद पड़ी जेट एयरवेज को नए निवेशक मिल गए हैं। दिवाला संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की कार्यवाही में जेट एयरवेज को ऋण देने वाले बैंकों/वित्तीय संस्थानों की समिति ने कालरॉक कैपिटल और मुरारी लाल जलान के गठबंधन की ओर से इस एयरलाइन को खरीदने के लिए प्रस्तुत योजना को अपनी मंजूरी दे दी है। हालांकि विमान उद्योग पर अनुसंधान एवं परामर्श सेवाएं देने वाली कंपनी सीएपीए इंडिया के प्रमुख कपिल कौल का कहना है कि परिचालन को बहाल करने का रास्ता कठिन और अनिश्चित है।

उन्होंने कहा कि जेट एयरवेज के कर्जदारों ने जो शर्तें मंजूर की हैं, वह सीएपीए को समझ में नहीं आतीं। अभी यह योजना एनसीएलटी की मंजूरी के लिए रखी जानी है। जेट के बेड़े में एक समय 120 विमान थे, जो इसके बंद होने के समय सिर्फ 16 रह गए थे। मार्च 2019 को खत्म हुए वित्त वर्ष में जेट एयरवेज का घाटा 5,535.75 करोड़ रुपए था। जेट एयरवेज का कामकाज 17 अप्रैल 2019 को बंद हुआ था।

नरेश गोयल की मनमर्जी पड़ी भारी

नरेश गोयल की दोस्ती कई नेताओं, पॉलिसीमेकर्स, चीफ एग्जिक्यूटिव, एयरलाइन लीज पर देने वालों और मैन्युफैक्चर्स से हैं। जेट एयरवेज को बचाने के लिए उन्होंने सबकी बात सुनी लेकिन की अपने मन की। नरेश गोयल ने जेट एयरवेज को बचाने के लिए दीपक पारेख से भी सलाह ली। उस समय टाटा ग्रुप संकट में घिरी जेट को खरीदना चाहता था। उस वक्त TPG कैपिटल की अगुवाई में एक प्राइवेट इक्विटी कंसोर्शियम भी दौड़ में था। तब दीपक पारेख ने नेरश गोयल को यह सलाह दी थी कि वह पीछे हट जाएं और नए निवेशकों को मौका दें। पारेख अबू धाबी सरकार के मुख्य सलाहकार थे। और अबू धाबी की सरकारी एयरलाइन कंपनी एतिहाद, जेट की पार्टनर थी।उन्होंने पद छोड़ने से मना कर दिया। गोयल को यह भरोसा था कि वह अपनी कंपनी बचा लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अभी तक इस डील में रुचि ले रहे टाटा ग्रुप ने भी अपना हाथ पीछे खींच लिया।

ईटी के मुताबिक,  गोयल ने कई गलतियां की हैं। उनके लिए कंपनी से निकलना मुश्किल फैसला था जिसकी वजह से हालात और खराब हुए हैं। यहां तक कि उनके पास टाटा ग्रुप जैसा इनवेस्टर निवेश के लिए तैयार था लेकिन गोयल किसी और को मौका देने के लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने जनवरी 2019 तक अपना पद जैसे-तैसे संभाल रखा था। लेकिन जेट एयरवेज का बुरा दौर शुरू हो चुका था।

जिद्द से बिगड़ी बात

कई जानकारों का कहना है कि जेट की मुश्किल तब से शुरू हुई जब गोयल ने 2007 में प्रतिद्वंदी कंपनी सहारा को 1450 करोड़ रुपए में खरीदा था। इस डील के साथ ही जेट फाइनेंशियल, लीगल और एचआर की कई मुश्किलों में फंस गई। गोयल ने एयर डक्कन, इंडिगो और स्पाइसजेट को टक्कर देने के लिए सहारा को खरीदा था। लेकिन यह रणनीति पूरी तरह उल्टी पड़ गई। साथ ही गोयल ने आईपीओ का पैसा नए प्लेन ऑर्डर करने में खर्च कर दिया।

इसके बाद गोयल ने दूसरी गलती कर दी। उन्होंने 10 एयरबस A330 और बोइंग 777 प्लेन का ऑर्डर दे दिया। दो तरह के प्लेन खरीदकर जेट ने अपना खर्च बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं किया। इसके साथ ही गोयल ने सीट भी कम रखी। ग्लोबल प्रैक्टिस में जहां 400 सीटें होती हैं वहां इसमें सिर्फ 308 सीटें थीं। यानी रेवेन्यू का एक चौथाई हिस्सा खुद खत्म कर लिया। लेंडर्स ने जब जेट को नीलाम करने की कोशिश की तो गोयल ने लंदन से बोली लगाई। लेकिन उनका ऑफर खारिज कर दिया गया। ऐसे कई मौकों पर एतिहाद और TPG ने धमकी दी कि अगर नरेश गोयल अपना हाथ नहीं खींचेंगे तो वो बाहर हो जाएंगे।

 

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