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Covid-19 संकट में RBI कर सकता है बड़ी राहत की घोषणा, विशेषज्ञों ने जताई ब्‍याज दर में और 0.25% कटौती की उम्‍मीद

सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंकर ने कहा कि इस समय प्रणाली में पर्याप्त नकदी है और दरों में कटौती को आगे बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में दरों में और कटौती से कोई मकसद पूरा नहीं होगा।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : July 27, 2020 8:28 IST
RBI may go in for further 25 bps rate cut, feel experts- India TV Paisa
Photo:INDIANEXPRESS

RBI may go in for further 25 bps rate cut, feel experts

मुंबई। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रही अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर सकता है। आरबीआई के गवर्नर की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चलने वाली बैठक चार अगस्त से शुरू होनी है और छह अगस्त को इस बारे में कोई घोषणा की जाएगी।

केंद्रीय बैंक कोविड-19 महामारी के प्रकोप से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान और लॉकडाउन के असर को सीमित करने के लिए लगातार कदम उठा रहा है। इससे पहले एमपीसी की बैठक मार्च और मई 2020 में हो चुकी है, जिनमें नीतिगत रेपो दरों में कुल 1.15 प्रतिशत की कटौती की गई। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि हम रेपो दर में 0.25 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर में 0.35 प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।

इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ राजकिरण राय ने कहा कि 0.25 प्रतिशत कटौती की संभावना है या वे दर को यथावत रख सकते हैं। नायर ने आगे कहा हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति एमपीसी के लक्ष्य दो-छह प्रतिशत के दायरे को पार कर गई है, लेकिन इसके अगस्त 2020 तक वापस इस सीमा के भीतर फिर आने की उम्मीद है।

उद्योग संघ एसोचैम का कहना है कि उद्योगों को हो रही समस्याओं को देखते हुए आरबीआई को ऋण पुनर्गठन पर अधिक ध्यान देना चाहिए। एसोचैम ने कहा कि उद्योग में बड़े पैमाने पर ऋण अदायगी में चूक को रोकने के लिए ऋण के तत्काल पुनर्गठन की जरूरत है। जैसा कि आरबीआई की ताजा रिपोर्ट से साफ है कि बैंकों और कर्जदारों दोनों के लिए पुनर्गठन जरूरी है। एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि ऋण का पुनर्गठन मौद्रिक नीति समिति की मुख्य प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए।

सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंकर ने कहा कि इस समय प्रणाली में पर्याप्त नकदी है और दरों में कटौती को आगे बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में दरों में और कटौती से कोई मकसद पूरा नहीं होगा। 

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