
SC directs govt to implement its decision to forego interest on eight categories of loans
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण आठ श्रेणियों के 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज से राहत देने के उसके निर्णय को लागू करने के लिए सभी कदम उठाए जाएं। न्यायाधीश अशोक भूषण, न्यायाधीश आर एस रेड्डी और न्यायाधीश एम आर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण न केवल लोगों के स्वास्थ्य को लेकर खतरा उत्पन्न हुआ है बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इससे दुनिया के अन्य देश भी प्रभावित हुए हैं।
इन 8 श्रेणियों के कर्ज पर मिलेगी राहत
ब्याज से राहत पाने वाली इन आठ श्रेणियों में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई), शिक्षा, आवास, टिकाऊ उपभोक्ता, क्रेडिट कार्ड, वाहन, व्यक्तिगत और उपभोग कर्ज शामिल हैं। पीठ ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के तहत कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन में कोई संदेह नहीं है कि निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र समेत ज्यादातर कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। कई महीनों तक, बड़ी संख्ंया में उद्योगों को काम करने की अनुमति नहीं मिली। केवल कुछ उद्योगों को काम करने की अनुमति मिली थी, जो उस समय के हालात में जरूरी और आवश्यक श्रेणी में आते थे।
रिट याचिका का हुआ निपटान
पीठ ने कहा कि हम मौजूदा रिट याचिका का निपटान करते हैं और प्रतिवादी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि वह निर्णय को लागू करने के लिए हर जरूरी कदम उठाए। रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को परिपत्र जारी किया था। इसमें बैंकों और अन्य कर्ज देने वाले संस्थानों को ग्राहकों से एक मार्च, 2020 और 31 मई, 2020 के बीच कर्ज की किस्त नहीं लेने की अनुमति दी थी। बाद में कर्ज नहीं देने की मोहलत इस साल 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी गई।
ब्याज पर ब्याज वसूली से मिली राहत
याचिका मोहलत अवधि के दौरान के कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) को लेकर ग्राहकों से ब्याज-पर-ब्याज वसूली से राहत देने के लिये दायर की गई थी। आगरा के गजेन्द्र शर्मा ने शीर्ष अदालत में इस बाबत याचिका दायर की थी। इसमें आरबीआई के 27 मार्च, 2020 की अधिसूचना के उस हिस्से को रद्द करने का आग्रह किया गया था जिसमें मोहलत अवधि के दौरान कर्ज राशि पर ब्याज वसूली की बात कही गई थी।