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Big Decision: रोका जा सकता है आपकी ग्रेच्‍युटी का पैसा, जानें क्‍यों हुआ यह फैसला

यदि एक कर्मचारी निर्धारित समय के बाद भी सरकारी या कंपनी के क्वार्टर में रहता है, तब उससे दंडात्मक किराये की वसूली बकाया भुगतान या ग्रेच्यूटी में से की जा सकती है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 28, 2020 12:01 IST
Supreme Court said Gratuity can be withheld for recovery of dues - India TV Paisa
Photo:FILE PHOTO

Supreme Court said Gratuity can be withheld for recovery of dues

नई दिल्‍ली। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस संजय कौल की अध्‍यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने व्‍यवस्‍था दी है कि यदि किसी कर्मचारी पर कंपनी का बकाया बाकी है तो उसकी रिकवरी उसकी ग्रेच्‍युटी से की जा सकती है। बेंच ने कहा कि किसी भी कर्मचारी की ग्रेच्युटी से दंडात्मक किराया (सरकारी आवास में नियत तिथि से अधिक समय तक रहने के लिए जुर्माना सहित किराया वसूली) वसूलने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है।

जस्टिस कौल के साथ जस्टिस दिनेश महेश्‍वरी और ऋषिकेश रॉय वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि यदि एक कर्मचारी निर्धारित समय के बाद भी सरकारी या कंपनी के क्‍वार्टर में रहता है, तब उससे दंडात्‍मक किराये की वसूली बकाया भुगतान या ग्रेच्‍यूटी में से की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट स्‍टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) द्वारा अपने एक कर्मचारी की ग्रेच्‍यूटी रोके जाने के मामले की सुनवाई कर रहा था। सेल ने 2016 में रिटायर हो चुके अपने एक कर्मचारी की ग्रेच्‍यूटी के भुगतान पर रोक लगा दी थी, क्‍योंकि रिटायर होने के बाद भी वह कर्मचारी अपने सरकारी आवास में रुका रहा और लंबे समय तक उसने उसका किराया भी नहीं भरा। इस पर कंपनी ने उसे दंडात्‍मक किराये के रूप में 1.95 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा, जिससे उसने इनकार कर दिया।

एक डिवीजन बेंच ने 2017 में कर्मचारी के रिटायरमेंट होने के बाद सरकारी आवास में अधिक समय तक रुकने की वजह से रोकी गई ग्रेच्‍युटी को अनुचित कृत्‍य करार देते हुए तत्‍काल ग्रेच्‍युटी जारी करने का आदेश दिया था।  

सुप्रीम कोर्ट ने अब अपने नए आदेश में कहा है कि यदि कोई कर्मचारी निर्धारित समय से अधिक समय तक सरकारी आवास में रहता है, तो उससे दंड के साथ किराया वसूला जा सकता है और अगर कर्मचारी पैसा नहीं देता है तो ग्रेच्‍युटी की रकम में से पैसा काटा जा सकता है।  हालांकि, न्यायमूर्ति कौल की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों वाली बेंच ने अब यह माना है कि 2017 के आदेश पर कोई भी निर्भरता गलत है क्योंकि यह एक निर्णय नहीं है, बल्कि उस मामले के दिए गए तथ्यों पर आधारित केवल एक आदेश है। इस फैसले के बाद स्पष्ट है कि किसी कर्मचारी पर अगर कंपनी का बकाया है तो उसकी ग्रेच्युटी का पैसा रोका या जब्त किया जा सकता है।

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