नई दिल्ली। नौकरीपेशा लोगों को केंद्र सरकार की तरफ से जल्द ही बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। दरअसल, मोदी सरकार सोशल सिक्योरिटी एंड ग्रैच्युटी नियम में बदलाव कर सकती है, अगर सहमित बन गई तो जल्द ही ग्रेच्युटी के लिए 5 साल नौकरी की सीमा खत्म हो जाएगी। ग्रेच्युटी की रकम कर्मचारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है।
सरकार ग्रेच्युटी के लिए निर्धारित 5 साल की लिमिट को कम करके एक साल कर सकती है। इसके लिए संशोधित बिल को इसी साल शीतकालीन शत्र में संसद में पेश किया जाएगा। इससे नौकरी पेशा वर्ग के लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
मौजूदा नियम के मुताबिक ग्रेच्युटी की रकम उन्हीं लोगों को मिलती है, जो किसी कंपनी में लगातार 5 साल तक काम करते हैं। 5 साल से पहले नौकरी बदलने पर ग्रेच्युटी नहीं मिलती है। सरकार इस 5 साल की अवधि को कम करने जा रही है, संशोधित बिल में सरकार ग्रेच्युटी के लिए निर्धारित 5 साल की लिमिट को घटाकर एक साल कर सकती है।
प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों को होगा फायदा
अगर केंद्र सरकार यह फैसला लेती है और बिल पास हो जाता है तो नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है। प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों को बड़ी सहूलियत होगी, जो 5 साल से पहली अपनी नौकरी चेंज कर देते हैं। नए नियम के बाद 1 साल के बाद नौकरी बदलने पर उन्हें ग्रेच्युटी की रकम मिलेगी।
जानिए क्या होती है ग्रेच्युटी
अगर ग्रेच्युटी को सरल भाषा में समझें तो यह कर्मचारियों को उनकी कंपनी के द्वारा दिया जाना वाला अतिरिक्त लाभ है। ग्रेच्युटी आपकी सीटीसी का हिस्सा होती है। इसकी अधिकतम सीमा 20 लाख होती है। वर्तमान में ग्रेच्युटी कर्मचारी को तभी मिलती है जब वो एक कंपनी में पांच साल तक काम करता है। लेकिन कुछ विशेष परिस्थिति जैसे अगर सेवाकाल के दौरान किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है या विकलांग होने की स्थिति में ग्रेच्युटी 5 साल से पहले भी दी जा सकती है। ग्रेच्युटी की रकम उसके नॉमिनी को दे दी जाती है। ग्रेच्युटी की रकम कर्मचारी के वेतन और उसकी कंपनी के लिए सेवा की अवधि पर निर्भर करती है।
यहां समझिए ग्रेच्युटी कैसे करते है कैलकुलेट
ग्रेच्युटी कैलकुलेट करना बेहद सरल है। ग्रेच्युटी की गणना में बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और कमीशन को मिलाया जाता है। ग्रेच्युटी की रकम कर्मचारी की आखिरी सैलरी और उस कंपनी में काम किए गए कुल वर्षों पर निर्भर करती है। जिस कर्मचारी को ग्रेच्युटी कानून के तहत कवर किया जाता है, उसके 15 दिनों के वेतन को जितने साल तक उसने उस दफ्तर में काम किया है उससे गुणा किया जाता है। इसके बाद इस रकम को 26 से भाग किया जाता है। अंतिम बेसिक सैलरी में महंगाई भत्ता भी शामिल है।
इस उदाहरण से समझिए
मान लीजिए किसी कर्मचारी की लास्ट सैलरी 20,000 रुपए प्रति माह है और उसने किसी लिमिटेड कंपनी में लगभग 20 सालों तक काम किया है। उस कर्मचारी की ग्रेच्युटी की गणना इस प्रकार की जाएगी: (15X20,000X20)/26 = 2,30,769 रुपए।
इस फॉर्मूले के अनुसार, 6 महीने से अधिक काम करने की अवधि को 1 साल माना जाता है। जो कर्मचारी इस एक्ट के तहत कवर नहीं होते हैं, उनकी ग्रेच्युटी महीने की आधी सैलरी और सालों के हिसाब से तय की जाती है।
इसका फॉर्मूला यह है- 15Xलास्ट सैलरीXकार्यकाल/30
इस तरह से ग्रेच्युटी 15X20,000X20)/30 = 2,00,000 होगी।