नई दिल्ली। कोरोना संकट से मुकाबले के लिये दिल्ली के एम्स और आरएमएल अस्पताल में आज दो मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगा दिये गये हैं। इसमें से हर एक प्लांट हर दिन 190 मरीजों को जरूरी ऑक्सीजन देगा। खास बात ये है कि ये संयंत्र भारतीय सैन्यबलों के स्वदेशीकरण की सफलता का गवाह है। संयंत्र उसी स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं जो एलसीए तेजस में पायलट्स के लिये ऑक्सीजन के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए DRDO के द्वारा तैयार की गयी थी। भारत दुनिया का चौथा देश है जिसने ये तकनीक विकसित की है।
क्या है ये खास तकनीक
इस तकनीक को डीआरडीओ ने विकसित किया है। इसे ऑन बोर्ड ऑक्सीजन जनरेटिंग सिस्टम (OBOGS) कहा जाता है। डीआरडीओ के मुताबिक बेहद ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले चालक दल और तेज रफ्तार जेट में बैठे फाइटर पायलट्स को ये सिस्टम लगातार जरूरी ऑक्सीजन पहुंचाता है। ये तकनीक प्रेशर स्विंग एडसॉर्प्शन तकनीक और जियो लाइट तकनीक का इस्तेमाल कर सीधे वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन लेकर उसको जरूरी मात्रा के आधार पर पायलट्स और चालक दल तक पहुंचाता है। इस तकनीक के आधार पर 93 प्रतिशत शुद्ध ऑक्सीजन सीधे पहुंचायी जा सकती है, जो बेहद ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी के वातावरण के बीच बीच उड़ान भर रहे पायलट के लिए काफी जरूरी होती है। हल्के लड़ाकू विमान तेजस में इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
क्या है निजी क्षेत्र की भागेदारी
कोविड संकट के बीच डीआरडीओ ने इस तकनीक को निजी क्षेत्र की कंपनियों को ट्रांसफर किया है। इसमे टाटा एडवांस सिस्टम बैंगलुरू और ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स कोयंबटूर शामिल हैं। टाटा एडवांस सिस्टम इस तकनीक पर आधारित 332 संयंत्र और ट्राइडेंट 48 संयंत्रों की आपूर्ति करेगा। दिल्ली पहुंचे दोनो संयंत्र ट्राइडेंट के द्वारा तैयार किये गये हैं। इन संयंत्रों के लिए आदेश 24 अप्रैल को जारी हुआ था। इसमें से 5 दिल्ली में लगाये जाने हैं, 2 संयंत्र आज आरएमएल और एम्स में स्थापित कर दिये गये हैं।
क्या हैं इन संयंत्रों की क्षमता
ये मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट 1000 लीटर प्रति मिनट के फ्लो के लिये डिजाइन किये गये हैं। प्रत्येक सिस्टम 5 एलपीएम की प्रवाह दर के साथ 190 रोगियों की जरूरी ऑक्सीजन सप्लाई करता है। या प्रतिदिन ऑक्सीजन के 195 सिलेंडर को भर सकता है। देश में ऐसे कुल 500 प्लांट लगाये जाने हैं। इन संयंत्रों को पीएम -केयर्स से फंड दिया जा रहा है।
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