लखनऊ। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप और देश भर में लागू 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग का अप्रैल महीने में फील्ड रीडिंग का कार्य स्थगित रहेगा। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने अप्रैल में मीटर रीडिंग का काम स्थगित करने का निर्णय किया है यानी अप्रैल माह में बिजली उपभोक्ताओं के घरों में मीटर रीडिंग वाले नहीं आएंगे। बिजली बिल तीन माह के औसत उपभोग के आधार पर बनाए जाएंगे और उपभोक्ताओं को भुगतान के लिए वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। जिन उपभोक्ताओं के मोबाइल फोन नंबर पंजीकृत हैं, उन्हें यह बिल एसएमएस के जरिये और जिनके ई-मेल एड्रेस पंजीकृत हैं, उन्हें ई-मेल से भेजे जाएंगे।
पावर कॉरपोरेशन के निदेशक (वाणिज्य) एके श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश के सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को पत्र लिखकर सूचित किया है कि कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल तक लॉकडाउन किया है। इसलिए अप्रैल माह में फील्ड मीटर रीडिंग नहीं हो पायेगी। इसलिए सभी बिल तीन माह के औसत उपभोग के आधार पर बनाए जाएंगे। इसके बाद उपभोक्ता को मैसेज के जरिये सूचित किया जाए, जिससे उपभोक्ता ऑनलाइन बिल www.upenergy.in/uppcl जमा कर सकें।
एके श्रीवास्तव ने बताया कि सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों से कहा गया है कि इस दौरान उपभोक्ताओं को बिल ऑनलाइन जमा करने के लिए प्रोत्साहित करें। अप्रैल माह के सभी बिल एनआर (नॉट रिकॉर्डेड) आधारित होंगे और अगली बिलिंग के समय बिल रीडिंग आधारित बनेंगे। पहले जमा किए गए बिल का क्रेडिट या डेबिट स्वत: ऑनलाइन हो जाएगा। सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों से कहा गया है कि वे इन निर्देशों की जानकारी बिलिंग एजेंसियों को भी दे दें। यह भी हिदायत दी गई है कि लॉकडाउन की अवधि में कोई मीटर रीडर किसी उपभोक्ता के परिसर में रीडिंग लेने या बिल देने के लिए नहीं जाएगा। उपभोक्ता को तीन माह के औसत उपभोक्ता के आधार पर ऑनलाइन बिल बनाया जायेगा।
इसके अलावा पावर कारपोरेशन की वेबसाइट पर भी बिल जमा किया जा सकता है। किसी भी समस्या के लिए उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर 1912 पर फोन कर समाधान पा सकते हैं। उपभोक्ताओं को एसएमएस से भी बिल भुगतान का लिंक भेजा जा रहा है। कारपोरेशन प्रबंधन ने मौजूदा विषम परिस्थितियों में भी निर्बाध बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे अपना बिल ऑनलाइन माध्यमों से जमा कर दें ताकि बिजली उत्पादकों का भुगतान समय से किया जा सके।