वॉशिंगटन। अमेरिकी संसद ने उस विधेयक को पारित कर दिया है, जो ग्रीन कार्ड आवेदन पर 7 प्रतिशत देश की सीमा को समाप्त कर देगा। इस विधेयक के कानून का रूप लेते ही भारत जैसे देशों के उन हजारों प्रतिभाशाली पेशेवरों का लंबा इंतजार खत्म हो जाएगा, जिन्होंने अमेरिका की स्थायी नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन किया है।
ग्रीन कार्ड गैर-अमेरिकी नागरिक को अमेरिका में स्थायी तौर पर रहने और काम करने की अनुमति देता है। भारतीय आईटी पेशेवर, जिनमें से अधिकांश बहुत अधिक प्रतिभाशाली हैं और अमेरिका में एच-1बी वर्क वीजा पर आते हैं, मौजूदा इमीग्रेशन सिस्टम से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। वर्तमान में ग्रीन कार्ड आवेदन के लिए प्रति देश 7 प्रतिशत की सीमा तय है। ऐसे में हजारों पेशेवर कई सालों से अमेरिका की नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
फेयरनेस फॉर हाई-स्किल्ड इमीग्रेशन एक्ट ऑफ 2019 नाम का विधेयक बुधवार को 435 सदस्यों वाले सदन में पेश किया गया था, जहां यह 365 वोट से पारित हो गया। इसके विरोध में 65 वोट पड़े थे।
यह बिल परिवार-आधारित इमीग्रेशन वीजा के लिए प्रति-देश सीमा को 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर देगा और रोजगार-आधारित इमीग्रेंट वीजा के लिए 7 प्रतिशत की सीमा को खत्म कर देगा। यह कानून उस प्रावधान को भी समाप्त कर देगा जो चीन के लोगों के लिए वीजा की संख्या को कम करता है।
प्रति-देश सीमा को खत्म करने से भारत जैसे देशों के पेशेवरों को सबसे ज्यादा फायदा होगा, जो ग्रीन कार्ड के लिए पिछले एक दशक से इंतजार कर रहे हैं। कुछ ताजा अध्ययनों से यह पता चला है कि एच-1बी वीजा वाले भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए ग्रीन कार्ड का इंतजार वक्त 70 साल से भी अधिक है।