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भारत के लिए बेरोजगारी कोई समस्या नहीं, बल्कि यह है प्रॉब्लम... अरविंद पनगढ़िया ने क्यों कही यह बात?

अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि मेरे विचार में बेरोजगारी वास्तव में भारत की समस्या नहीं है। हमारी समस्या अल्प-रोजगार है, इसलिए उत्पादकता कम है। ऐसे में जो काम एक व्यक्ति कर सकता है, वह अक्सर दो लोगों या शायद तीन लोगों द्वारा किया जाता है।

Pawan Jayaswal Edited By: Pawan Jayaswal
Updated on: February 24, 2024 20:32 IST
अरविंद पनगढ़िया- India TV Paisa
Photo:FILE अरविंद पनगढ़िया

श्रम सुधारों की वकालत करते हुए 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन और नीति आयोग के पूर्व चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने शनिवार को कहा कि भारत के लिए बेरोजगारी कोई समस्या नहीं है, लेकिन अल्प-रोजगार जरूर एक समस्या है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले 10 वर्षों में देश में नौकरियों की समस्या हल हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार में बेरोजगारी वास्तव में भारत की समस्या नहीं है। हमारी समस्या अल्प-रोजगार है, इसलिए उत्पादकता कम है। ऐसे में जो काम एक व्यक्ति कर सकता है, वह अक्सर दो लोगों या शायद तीन लोगों द्वारा किया जाता है। इसलिए मैं सोचता हूं कि नौकरियों की वास्तविक चुनौती अच्छी तनख्वाह वाली उच्च उत्पादकता वाली नौकरियां पैदा करना है।’’

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की भाषा में भारत एक श्रम-प्रचुर और पूंजी-कमी वाला देश है। पनगढ़िया ने कहा, ‘‘हमें ऐसी स्थिति मिली, जहां अधिकांश पूंजी बहुत कम श्रमिकों के साथ काम कर रही है। दूसरी ओर कृषि, सूक्ष्म और लघु उद्यमों में श्रमिकों की एक बड़ी संख्या है, जहां पूंजी मुश्किल से मौजूद है। बहुत सारे श्रमिक हैं, जो बहुत कम पूंजी के साथ काम कर रहे हैं।’’

कानूनों को ठीक करने की जरूरत

उन्होंने कहा कि देश को अभी भी श्रम और व्यापार कानूनों को ठीक करने की जरूरत है, ‘‘अन्य देशों की तुलना में, सुरक्षा का स्तर ऊंचा है जिसे कम करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत में आम सहमति बनाना लोकतांत्रिक सुधार प्रक्रिया का एक हिस्सा है, जिससे कानून पारित करना धीमी प्रक्रिया हो जाती है।’’ उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में श्रम कानून पेश किए गए थे। इसके बाद, किसी भी सरकार ने साहस नहीं दिखाया। मोदी सरकार ने कानून पारित किए हैं। अब राज्यों को कानूनों को लागू करने के लिए नियम तैयार करने हैं।

हल हो जाएगी नौकरियों की समस्या

सुधारों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘श्रम कानूनों का कार्यान्वयन, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और बैंकों का निजीकरण कुछ महत्वपूर्ण सुधार हैं, जिन्हें करने की आवश्यकता है।’’ पनगढ़िया ने कहा कि कुल मिलाकर हम एक अच्छी स्थिति में हैं। ये समस्याएं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हम अगले 10 वर्षों में इन्हें हल कर लेंगे। मैं बहुत आशावादी हूं कि नौकरियों की समस्या भी हल हो जाएगी।

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