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कंपनियों को प्रोडक्ट पर 100% एनवायरनमेंट फ्रेंडली लिखना पड़ेगा भारी, सरकार ने नकेल कसने की तैयारी शुरू की

दिशानिर्देश सभी विज्ञापनों या सेवा प्रदाताओं, उत्पाद बेचने वाले, विज्ञापनदाताओं या उन विज्ञापन एजेंसियों पर लागू होंगे जिनकी सेवा विज्ञापन के लिए ली गई थी। इसके अनुसार, पर्यावरण को लेकर सभी दावे सटीक होने चाहिए और संबंधित विज्ञापन या प्रचार-प्रसार में सभी प्रासंगिक जानकारी का खुलासा करने की जरूरत होगी।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: January 11, 2024 20:43 IST
एनवायरनमेंट फ्रेंडली - India TV Paisa
Photo:FILE एनवायरनमेंट फ्रेंडली

कंपनियों को प्रोडक्ट पर 100% एनवायरनमेंट फ्रेंडली लिखना पड़ेगा भारी। दरअसल, सरकार पर्यावरण को लेकर झूठे दावे करने वाली इकाइयों पर नकेल कसने की तैयारी में है। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों की तरफ से किये जा रहे ‘ग्रीनवॉशिंग’ यानी पर्यावरण संरक्षण को लेकर गलत दावों पर लगाम लगाने के लिए दिशानिर्देशों के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है। अभी बहुत सारी कंपनियां अपने प्रोडक्ट पर 100% एनवायरनमेंट फ्रेंडली लिख देती है लेकिन वह इसका पालन नहीं करती। कंपनियां प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए गलत दावा करती है। अब इस पर नकेल कसा जाएगा। अगर कंपनी एनवायरनमेंट फ्रेंडली काम नहीं करेगी तो वह अपने प्रोडक्ट पर यह नहीं लिख पाएगी। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने गुरुवार को यह जानकारी दी। समिति के सदस्यों के साथ 10 जनवरी को हुई बैठक में चर्चा के बाद दिशानिर्देशों के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया। 

दिशानिर्देश के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से गठित समिति में उद्योग मंडल फिक्की और सीआईआई के प्रतिनिधियों के अलावा मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (एमएआईटी), भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) और इंडियन ब्यूटी एंड हाइजीन एसोसिएशन (आईबीएचए) जैसे उद्योग जगत के सदस्य भी शामिल हैं। सिंह ने कहा, हमने दिशानिर्देश के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है। उद्योग के कुछ सुझावों को शामिल करने के बाद अंतिम दिशानिर्देश जारी करेंगे। मंत्रालय ने बयान में कहा कि मसौदा दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से ‘ग्रीनवॉशिंग’ और ‘पर्यावरण दावों’ को परिभाषित करता हैं। इसमें उन खुलासों का भी प्रस्ताव है जो हरित यानी पर्यावरण संरक्षण को लेकर दावे करते समय कंपनी को करने होंगे। दिशानिर्देश में यह भी प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति को ‘ग्रीनवॉशिंग’ में शामिल नहीं होना चाहिए। उचित खुलासे के बिना किसी को भी हरित, पर्यावरण-अनुकूल, ग्रह के लिए अच्छा और इसी तरह के दावे जैसे अस्पष्ट शब्दों का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी। 

इन कंपनियों पर सख्ती की तैयारी

दिशानिर्देश सभी विज्ञापनों या सेवा प्रदाताओं, उत्पाद बेचने वाले, विज्ञापनदाताओं या उन विज्ञापन एजेंसियों पर लागू होंगे जिनकी सेवा विज्ञापन के लिए ली गई थी। इसके अनुसार, पर्यावरण को लेकर सभी दावे सटीक होने चाहिए और संबंधित विज्ञापन या प्रचार-प्रसार में सभी प्रासंगिक जानकारी का खुलासा करने की जरूरत होगी। दिशानिर्देश में कहा गया गया है कि पर्यावरण से संबंधित दावा करने वाली किसी भी इकाई को यह निर्धारित करना चाहिए कि क्या यह वस्तु, विनिर्माण प्रक्रिया, पैकेजिंग, वस्तु के उपयोग के तरीके या उसके निपटान को संदर्भित करता है या फिर सेवा अथवा सेवा प्रदान करने की प्रक्रिया से संबद्ध है। 

दावा गलत होने पर कार्रवाई

पर्यावरण को लेकर जो भी दावे किये जा रहे हैं, उसका सत्यापन योग्य साक्ष्य के आधार पर होना चाहिए। बयान के अनुसार, कंपनियों की ‘ग्रीनवॉशिंग’ के लिए भ्रामक विज्ञापनों पर जुर्माना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार लगाया जाएगा। दिशानिर्देश केवल संबंधित पक्षों के लिए स्पष्टीकरण को लेकर है। 

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