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Court Verdict: भारत सरकार की चुनौती खारिज, इस मामले में रिलायंस-शेल के पक्ष में आया फैसला

सरकार की दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि आपत्तियां एक अंग्रेजी कानून के सिद्धांत के तहत ‘प्रतिबंधित हैं’।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : June 12, 2022 15:26 IST
Reliance- India TV Paisa
Photo:FILE

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Highlights

  • मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने 29 जनवरी, 2021 को दोनों कंपनियों के पक्ष में फैसला सुनाया था
  • दोनों कंपनियों ने ब्रिटिश उच्च न्यायालय में 2016 के एफपीए को चुनौती दी थी
  • अदालत ने कहा कि आपत्तियां एक अंग्रेजी कानून के सिद्धांत के तहत ‘प्रतिबंधित हैं’

Court Verdict: रिलायंस-शेल के पक्ष में आए 11.1 करोड़ डॉलर के मध्यस्थता फैसले में भारत सरकार की चुनौती को खारिज कर दिया गया है। सरकार ने पश्चिमी अपतटीय पन्ना-मुक्ता और ताप्ती तेल एवं गैस क्षेत्रों में लागत वसूली विवाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज और शेल के पक्ष में आए मध्यस्थता फैसले को चुनौती दी थी। ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने इस मामले में सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया है। इस मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने बताया कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रॉस क्रैंस्टन ने नौ जून, 2022 को फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार को मध्यस्थता न्यायाधिकरण के निर्धारित सीमाओं को पूरा नहीं करने को लेकर अपनी आपत्तियां उस समय लानी चाहिए थी जबकि 2021 में यह फैसला सुनाया गया था। 

सरकार की दलील को खारिज किया 

सरकार की दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि आपत्तियां एक अंग्रेजी कानून के सिद्धांत के तहत ‘प्रतिबंधित हैं’। इसमें कोई पक्ष नई कार्यवाही में कोई ऐसा मामला नहीं उठा सकता जिसे पिछली कार्यवाही में उठाया जा सकता था। इस बारे में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि सरकार अदालत के आदेश का अध्ययन करेगी और उसके बाद उपयुक्त मंच पर इसे उठाने का विकल्प तलाशेगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज को भी इस बारे में भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं मिला। रिलायंस और शेल के स्वामित्व वाली बीजी एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन इंडिया ने 16 दिसंबर, 2010 को सरकार को लागत वसूली प्रावधानों, राज्य पर बकाया लाभ और रॉयल्टी भुगतान सहित सांविधिक बकाया के मसले पर मध्यस्थता प्रक्रिया में घसीटा था। वह सरकार के साथ मुनाफे को साझा करने से पहले तेल और गैस की बिक्री से वसूल की जाने वाली लागत की सीमा को बढ़ाना चाहती थी।

मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने पक्ष में फैसला सुनाया था 

भारत सरकार ने भी किए गए खर्च, बिक्री को बढ़ाकर दिखाने, अतिरिक्त लागत वसूली और लेखा में खामी के मुद्दे को उठाया था। सिंगापुर के वकील क्रिस्टोफर लाउ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल ने बहुमत से 12 अक्टूबर, 2016 को अंतिम आंशिक फैसला (एफपीए) जारी किया। इसने सरकार के इस विचार से सहमति जताई कि इन क्षेत्रों से लाभ की गणना मौजूदा 33 प्रतिशत की कर की कटौती के बाद की जानी चाहिए न कि पूर्व की व्यवस्था के अनुसार 50 प्रतिशत कर के आधार पर। मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने यह भी कहा था कि अनुबंध में लागत वसूली ताप्ती गैस क्षेत्र में 54.5 करोड़ डॉलर और पन्ना-मुक्ता तेल और गैस क्षेत्र में 57.75 करोड़ डॉलर ही रहेगी। दोनों कंपनियां लागत प्रावधान को ताप्ती के लिए 36.5 करोड़ डॉलर और पन्ना-मुक्ता के लिए 6.25 करोड़ डॉलर बढ़ाना चाहती थीं। सरकार ने इस फैसले के आधार पर रिलायंस और बीजी एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन से 3.85 अरब डॉलर का बकाया मांगा था। दोनों कंपनियों ने ब्रिटिश उच्च न्यायालय में 2016 के एफपीए को चुनौती दी थी। उसने 16 अप्रैल, 2018 को इस मुद्दे को मध्यस्थता न्यायाधिकरण के पास पुनर्विचार के लिए भेज दिया था। मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने 29 जनवरी, 2021 को दोनों कंपनियों के पक्ष में फैसला सुनाया था। 

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