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कितना गलत साबित हुआ एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण? जानिए कैसे जनता के अरबों रुपये हो गए थे स्वाहा

साल 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने टाटा को बिना बताए एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। उस समय एयर इंडिया दुनिया की श्रेष्ठ एयरलाइंस में से एक मानी जाती थी।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Feb 07, 2024 19:13 IST, Updated : Feb 07, 2024 19:13 IST
एयर इंडिया- India TV Paisa
Photo:FILE एयर इंडिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज बुधवार को राज्यसभा में एयर इंडिया का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एयर इंडिया (Air India) को बर्बाद कर दिया था। पीएम राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए कांग्रेस पर करारा हमला बोल रहे थे। पीएम बोले, 'कांग्रेस ने कहा कि हमने पीएसयू बेच दिये, पीएसयू डुबा दिये। भांति-भांति की बातें यहां पर कही गई और वरिष्ठ लोगों तक ने ऐसा कहा। याद कीजिए बीएसएनएल-एमटीएनएल को बर्बाद करने वाले कौन थे? आदरणीय सभापति जी, एयर इंडिया को किसने तबाह किया, किसने बर्बाद कर दिया। यह हालत कौन लाया। कांग्रेस पार्टी और यूपीए 10 साल की उनकी बर्बादी से मुंह नहीं मोड़ सकते।'

टाटा की एयरलाइन टाटा को मिली वापस

हम सब जानते हैं कि टाटा (Tata) ने एयर इंडिया को सरकार से खरीद लिया है। 8 अक्टूबर 2021 को टाटा ग्रुप की कंपनी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड ने कर्ज में डूबी एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीती थी। इसके बाद से एयर इंडिया का कलेवर बदल गया है। टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया के विस्तार के लिए जमकर पैसा खर्च किया है। बड़ी संख्या में नए विमानों के ऑर्डर भी दिये गए हैं। लेकिन मोदी सरकार को एयर इंडिया को बेचने की नौबत क्यों आई? इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको 71 साल पीछे जाना होगा। जब साल 1953 में सरकार ने दुनिया की टॉप एयरलाइंस में से एक एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया था।

टाटा को बिना बताए कर दिया था राष्ट्रीयकरण

जेआरडी टाटा ने साल 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। साल 1946 में टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया था। एयर इंडिया दुनिया की श्रेष्ठ एयरलाइंस में से एक मानी जाती थी। इसके बाद साल 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने टाटा को बिना बताए एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। इससे टाटा को बड़ा झटका लगा था। राष्ट्रीयकरण के बाद जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया के चेयरमैन का पदभार संभाल लिया। जेआरडी टाटा के नेतृत्व में 1977 तक एयरलाइन अच्छे से संचालित होती रही। इसके बाद मोरारजी देसाई ने टाटा को उनके पद से हटा दिया।

एयर इंडिया को हो रहा था रोज 20 करोड़ का नुकसान

विनिवेश के समय एयर इंडिया को रोजाना करीब 20 करोड़ रुपये का नुकसाान हो रहा था। यह टैक्सपेयर्स का पैसा ही था, जो बर्बाद हो रहा था। साल 2007-08 से 2020-21 तक एयर इंडिया को हर साल 3,000 से 7,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था जो कुल मिलाकर 85,000 करोड़ रुपये का रहा। इस तरह 14 साल में 85,000 करोड़ रुपये के नुकसान से एयर इंडिया कर्ज में डूब गई। नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार, साल 2005-06 में एयर इंडिया केवल 14 करोड़ रुपये के मुनाफे वाली कंपनी थी। उस समय एयर इंडिया के लिए 111 विमानों को 55,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर खरीदा गया और बाद में 15 विमान 2013-14 में बेच दिये गए। इससे एयरलाइन पर काफी कर्ज बढ़ गया। बता दें कि साल 2001 में उस समय की बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने एयर इंडिया में 40 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी।

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