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भारत की मौजूदा विकास रफ्तार 2003-07 जैसी, जानें मॉर्गन स्टेनली ने ऐसा क्यों कहा?

रिपोर्ट के मुताबिक, हमें लगता है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर साइकिल के लिए पर्याप्त गुंजाइश है और इसलिए वर्तमान तेजी 2003-07 के समान है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Mar 17, 2024 16:36 IST, Updated : Mar 17, 2024 16:36 IST
Indian Economy - India TV Paisa
Photo:FILE भारतीय इकोनॉमी की तेज रफ्तार

वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने भारतीय इकोनॉमी की तेज रफ्तार को लेकर बड़ी बात कही है। आपको बता दें कि अमेरिका की जानी मानी फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि निवेश के दम पर आगे बढ़ रही भारत की मौजूदा आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 2003-07 जैसी लग रही है। उस समय आर्थिक वृद्धि दर औसतन आठ प्रतिशत से अधिक थी। मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने यह बात कही है। मॉर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट ‘द व्यूपॉइंट: इंडिया-व्हाई दिस फील लाइक 2003-07’ में कहा कि एक दशक तक जीडीपी के मुकाबले निवेश में लगातार गिरावट के बाद अब भारत में Capital expenditure वृद्धि के प्रमुख ड्राइवर के रूप में उभरा है। 

निवेश बढ़ने से ग्रोथ की रफ्तार तेज हुई 

रिपोर्ट के मुताबिक, हमें लगता है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर साइकिल के लिए पर्याप्त गुंजाइश है और इसलिए वर्तमान तेजी 2003-07 के समान है। मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वर्तमान तेजी खपत की तुलना में निवेश बढ़ने के चलते है। शुरुआत में इसे सार्वजनिक पूंजीगत व्यय से समर्थन मिला, लेकिन निजी पूंजीगत व्यय में भी वृद्धि हो रही है। इसी तरह खपत को पहले शहरी उपभोक्ताओं ने सहारा दिया और बाद में ग्रामीण मांग भी बढ़ी। वैश्विक निर्यात में बाजार हिस्सेदारी बढ़ने और व्यापक आर्थिक स्थिरता से भी अर्थव्यवस्था को समर्थन मिला है। 

जीडीपी के मुकाबले निवेश 34% तक पहुंचा

रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा मानना है कि मौजूदा तेजी जीडीपी के मुकाबले निवेश बढ़ने के चलते है। इसी तरह के वृद्धि चक्र में 2003-07 के दौरान जीडीपी के मुकाबले निवेश 27 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत हो गया था।’’ जीडीपी के मुकाबले निवेश 2011 तक अपने उच्चस्तर पर था, जिसके बाद इसमें गिरावट आई। यह गिरावट 2011 से 2021 तक देखने को मिली, हालांकि उसके बाद स्थिति बदलने लगी और अब जीडीपी के मुकाबले निवेश 34 प्रतिशत तक पहुंच गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2026-27 तक इसके 36 प्रतिशत होने का अनुमान है।

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