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लाखों-करोड़ नहीं बल्कि 1000 रुपये लगाकर भी बन सकते हैं प्रॉपर्टी के मालिक, जानें कैसे

रीट का मॉडल म्यूचुअल फंड की तरह है। जिस तरह म्यूचुअल फंड में निवेशकों का पैसा जुटाकर फंड मैनेजर अच्छी कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है, ठीक उसी तरह रीट में निवेशकों का पैसा रियल एस्टेट कंपनियों में निवेश किया जाता है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Jan 25, 2023 9:06 IST, Updated : Jan 25, 2023 9:30 IST
प्रॉपर्टी में निवेश- India TV Paisa
Photo:PTI प्रॉपर्टी में निवेश

प्रॉपर्टी की खरीदारी दिमाग में आते ही लाखों-करोड़ रुपये घूमने लगते हैं। इसकी वजह यह है कि प्रॉपर्टी में निवेश के लिए बड़ी रकम की जरूरत होती है। आज के समय में आप फ्लैट खरीदें या दुकान, कम से कम आपके पास 40 से 50 लाख रुपये होने चाहिए। ऐसे में आपको मैं बोलूं कि आप 500-1000 रुपये लगाकर भी प्रॉपर्टी का मालिक बन सकते हैं तो आप चौंक जाएंगे लेकिन अब यह संभव हो गया है। आप रीट (REIT) यानी Real Estate Investment Trust के माध्यम से यह निवेश कर सकते हैं।

क्‍या होता है रीट?

रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट का मॉडल म्यूचुअल फंड की तरह है। जिस तरह म्यूचुअल फंड में निवेशकों का पैसा जुटाकर फंड मैनेजर अच्छी कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है, ठीक उसी तरह रीट में निवेशकों का पैसा रियल एस्टेट कंपनियों में निवेश किया जाता है। रीट का पैसा रीट उन कंपनियों में निवेश किया जाता है, जिनकी बाजार में साख अच्छी होती है। साथ ही जिनके पास इनकम देने वाली अच्छी प्रॉपर्टीज होती हैं। इन प्रॉपर्टीज में मॉल, अस्पताल, ऑफिस स्पेस, होटल आदि शामिल होते है।

मिलता है शानदार रिटर्न 

Real Estate Investment Trust में निवेश करने वालों को पिछले कुछ सालों में शानदार रिटर्न मिला। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रीट ने सालाना 10 से 12 फीसदी का रिटर्न दिया है। यानी अगर आप कम पैसे में रियल एस्टेट में निवेश करना चाहता है तो रीट एक बेहतर माध्यम हो सकता है। आप कम पैसे में इस सेक्टर का फायदा उठा सकते हैं। 

क्यों निवेश करना बेहतर

प्रोफेशनल मैनेजमेंट: रीट का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसका प्रोफेशनल सेट अप है। सभी फंड का प्रबंधन प्रोफेशनल फंड मैनेजरों द्वारा किया जाता है, जिनके पास इस सेक्‍टर का पर्याप्‍त अनुभव होता है। इसके अलावा, उनके पास मार्केट की पूरी जानकारी, समझ और संसाधन भी होते हैं।

डाइवर्सिफिकेशन बेनिफिट: ये इन्‍वेस्‍टमेंट विभिन्‍न जगहों और डेवलपर्स में होते हैं। इस तरह अगर कोई मार्केट अच्‍छा परफॉर्म नहीं करता है, तो बाकी के परफॉर्मेंस अच्‍छे हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, पिछले 5-6 साल से तेलंगाना के मुद्दे पर राजनीतिक अनिश्चितता के कारण हैदराबाद का रियल एस्‍टेट मार्केट अच्‍छा नहीं कर रहा है। लेकिन यह हाल अन्‍य जगहों का नहीं है। इसके अलावा, यह इन्‍वेस्‍टमेंट रेजिडेंशियल, ऑफिस, रिटेल, होटल जैसे तमाम क्षेत्रों में होता है।

मोलभाव की बेहतर योग्‍यता: रीट के पास डेवलपर्स से मोलभाव करने का अनुभव और पहुंच दोनों होते हैं। इससे इन्‍वेस्‍टर्स को बेहतर रिटर्न मिलना संभव होता है। जो कि सामान्‍य स्थिति में किसी इंडिविजुअल इन्‍वेस्‍टर को संभव नहीं होता है।

इन्‍वेस्‍टमेंट की लंबी अवधि: रीट फंड की निवेश अवधि लंबी होती है। ऐसे में मार्केट के उतार-चढ़ाव का उन पर अधिक असर नहीं होता है।

निगरानी और नियंत्रण: फंड्स की निगरानी और नियंत्रण प्रोफेशनल्‍स की टीम के द्वारा किए जाते हैं। हर दिन फंड्स की निगरानी होती है, समस्‍याओं की समय पर पहचान की जाती है और उनके उपयुक्‍त समाधान खोजे जाते हैं।

अधिकतम फायदे: रीट के पास अपने इक्विटी रिटर्न को बेहतर करने की योग्‍यता होती है। अपनी पेशेवर योग्‍यता के कारण वे अपने इन्‍वेस्‍टमेंट का बेहतर इस्‍तेमाल करने में सक्षम होते हैं।

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