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'दुनिया के कई देश भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करना चाहते'- पीयूष गोयल

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में कहा कि विश्व के बहुत से देश भारत को एक भरोसेमंद पार्टनर के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई देश भारत का बिजनेस पार्टनर बनना चाहते हैं।

Reported By : PTI Edited By : Akash Mishra Published on: December 16, 2022 19:03 IST
केंद्रीय मंत्री पीयूश गोयल(फाइल फोटो)- India TV Paisa
Photo:PTI केंद्रीय मंत्री पीयूश गोयल(फाइल फोटो)

केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता पीयूष गोयल ने राज्यसभा में कहा कि विश्व के बहुत से देश भारत को एक भरोसेमंद पार्टनर के रूप में देख रहे हैं और दुनिया में एक मजबूत ताकत के रूप में उभरने के बाद इसके साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार के विभिन्न कदमों से दुनिया भर में अपने देश का प्रभाव बढ़ा है और कई देश भारत का बिजनेस पार्टनर बनना चाहते हैं क्योंकि उन्हें भारत में एक भरोसेमंद व्यापारिक सहयोगी दिखता है। 

'6 देशों के साथ FTA के संबंध में बातचीत चल रही'

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ FTA मई से प्रभावी हो गया है और ऑस्ट्रेलिया के साथ ऐसे समझौते पर साइन पहले ही हो गए थे। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, कनाडा, यूरोपीय संघ के साथ ही खाड़ी परिषद के छह देशों के साथ भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के संबंध में बातचीत चल रही है। गोयल ने कहा कि वियतनाम और बांग्लादेश ने सूती कपड़े एवं परिधान के मामले में बढ़त बना ली है। 

'बांग्लादेश 2026 तक रहेगा LDC लिस्ट में'

बीजेपी नेता ने कहा कि इस क्षेत्र में बांग्लादेश के आगे निकलने का एक बड़ा कारण उसका अल्पविकसित देश (LDC) होना है और वह 2026 तक इस सूची में रहेगा। उन्होंने कहा कि LDC देश होने के नाते उसे सीमा शुल्क में छूट मिलती है जबकि भारतीय प्रोडक्ट्स पर 10 परसेंट तक कस्टम ड्यीटी लगती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार वियतनाम का यूरोपीय संघ के साथ FTA है जिससे उसके प्रोडक्ट्स पर भी सीमा शुल्क नहीं लगता है। 

'देश में कपास की पर्याप्त उपलब्धता'

केंद्रीय मेंत्री से सवाल किया गया था कि क्या सरकार कपड़ा उद्योग में कपास की बहुलता और कच्चे कपास की कमी को ध्यान में रखते हुए इसे आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने पर विचार कर रही है। इसके जवाब में बीजेपी नेता ने कहा कि वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और देश में कपास की पर्याप्त उपलब्धता है क्योंकि अनुमानित कपास का प्रोडक्शन 341.91 लाख गांठ और खपत 311 लाख गांठ है।

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