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SEBI ने MF निवेशकों के हक में उठाया बड़ा कदम, फंड हाउस के इस खेल पर लगेगा ब्रेक

जब कोई ब्रोकर या निवेशक गोपनीय जानकारी के आधार पर किसी कारोबार में शामिल होता है, उसे ‘फ्रंट रनिंग’ कहते हैं। यह ऐसी संवेदनशील जानकारी होती है, जिससे शेयर की कीमत प्रभावित होती है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Apr 30, 2024 20:58 IST, Updated : Apr 30, 2024 20:58 IST
SEBI- India TV Paisa
Photo:FILE सेबी

SEBI ने Mutual Funds निवेशकों के हक में बड़ा कदम उठाया है। सेबी ने म्यूचुअल फंड में ‘फ्रंट-रनिंग’ और भेदिया कारोबार पर लगाम लगाने के लिए मंगलवार को कदम उठाया। इसके तहत सेबी निदेशक मंडल ने फैसला किया कि असेट मैनेजमेंट कंपनियों (amc) को संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और रिड्रेसल के लिए एक इंस्टीट्यूशनल सिस्टम बनाना होगा। इसके साथ ही निदेशक मंडल ने ऐसे संस्थागत तंत्र के लिए सेबी ने निदेशक मंडल की बैठक के बाद जारी एक बयान के मुताबिक, नियामक चाहता है कि एएमसी गलतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले ‘व्हिसिल ब्लोअर’ तंत्र बनाकर पारदर्शिता को बढ़ावा दे। मार्केट के जानकारों का कहना है कि सेबी के इस कदम से निवेशकों के अधिकारों की रक्षा होगी। उनका पैसा सुरक्षित रहेगा। 

‘फ्रंट रनिंग’ क्या होता है? 

सेबी के मुताबिक, इंस्टीट्यूशनल सिस्टम एएमसी के कर्मचारियों, डीलरों, स्टॉक ब्रोकरों या किसी अन्य संबंधित संस्थाओं द्वारा संभावित गड़बड़ी का पता लगाने और सूचना देने का काम करेगा। इसमें खास तरह की गड़बड़ी की पहचान, निगरानी और पता लगाने के लिए उन्नत निगरानी प्रणाली, आंतरिक नियंत्रण प्रक्रियाएं और वृद्धि प्रक्रियाएं शामिल होंगी। एएमसी से संबंधित गड़बड़ी में फ्रंट रनिंग, भेदिया कारोबार और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग शामिल हैं। जब कोई ब्रोकर या निवेशक गोपनीय जानकारी के आधार पर किसी कारोबार में शामिल होता है, उसे ‘फ्रंट रनिंग’ कहते हैं। यह ऐसी संवेदनशील जानकारी होती है, जिससे शेयर की कीमत प्रभावित होती है। 

इन दो मामलों के बाद आया फैसला 

यह निर्णय सेबी द्वारा एक्सिस एएमसी और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से संबंधित दो ‘फ्रंट-रनिंग’ मामलों में जारी आदेश के बीच आया है। एक्सिस एएमसी मामले में ब्रोकर-डीलरों, कुछ कर्मचारियों और संबंधित संस्थाओं को एएमसी के कारोबारों को ‘फ्रंट-रनिंग’ में लिप्त पाया गया था। वहीं एलआईसी मामले में, एक सूचीबद्ध बीमा कंपनी के एक कर्मचारी को सौदों की ‘फ्रंट-रनिंग’ करते हुए पाया गया था। नियामक ने बयान में कहा, "हाल में सामने आए मामलों को ध्यान में रखते हुए निदेशक मंडल ने संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए एएमसी को एक व्यवस्थित संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996 में संशोधन को मंजूरी दी।

एम्फी रोडमैप तैयार करेगा

म्यूचुअल फंड निकाय 'एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया' (एम्फी) सेबी के परामर्श से ऐसे संस्थागत तंत्र के लिए विस्तृत मानकों को तय करेगा। इसके अतिरिक्त, नियामक ने म्यूचुअल फंड के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रायोजक की समूह कंपनियों की प्रतिभूतियों के संबंध में निष्क्रिय योजनाओं के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों को सुव्यवस्थित किया है। वर्तमान में, म्यूचुअल फंड योजनाओं को प्रायोजक की समूह कंपनियों में अपने शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) का 25 प्रतिशत से अधिक निवेश करने की अनुमति नहीं है। 

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