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  4. बिल्डर नहीं बना रहे सस्ते घर, इन 7 शहरों में घट कर आधी रह गई किफायती घरों की सप्लाई

कितना है आपका बजट? बिल्डर अब नहीं बना रहे इस रेंज के सस्ते घर

आंकड़ों के अनुसार, रियल एस्टेट डेवलपर ने वर्ष 2022 में देश के सात प्रमुख शहरों में कुल 3,57,650 घरों की आपूर्ति की जिनमें से सिर्फ 20 प्रतिशत घर ही किफायती श्रेणी में थे।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: March 25, 2023 18:01 IST
building- India TV Paisa
Photo:FILE Building

महंगाई के दौर में यदि आप सस्ते घरों की तलाश कर रहे हैं तो आपको अपनी मंजिल मिलना फिलहाल मुश्किल दिख रही है। बिल्डर्स अब 40 लाख से कम कीमत वाले सस्ते मकान तैयार करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश के सात प्रमुख शहरों में 40 लाख रुपये से कम कीमत वाले किफायती घरों की कुल नए घरों में हिस्सेदारी घटकर पिछले साल 20 प्रतिशत पर आ गई। 2018 में यह हिस्सेदारी 40 प्रतिशत थी। 

रियल एस्टेट सलाहकार फर्म एनरॉक ने किफायती घरों की संख्या में आई इस गिरावट के लिए महंगी जमीन, कम लाभ और कम ब्याज दरों पर वित्त नहीं मिलने जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। आंकड़ों के अनुसार, रियल एस्टेट डेवलपर ने वर्ष 2022 में देश के सात प्रमुख शहरों में कुल 3,57,650 घरों की आपूर्ति की जिनमें से सिर्फ 20 प्रतिशत घर ही किफायती श्रेणी में थे। 

2018 में 40 प्रतिशत थी हिस्सेदारी 

किफायती घरों की हिस्सेदारी में पिछले 5 साल में गिरावट दर्ज की गई है। 2018 में कुल 1,95,300 घर तैयार किए गए थे, जिनमें से 40 प्रतिशत घर किफायती श्रेणी के थे। वर्ष 2019 में बने कुल 2,36,560 घरों में से किफायती घरों का हिस्सा 40 प्रतिशत पर स्थिर रहा। हालांकि वर्ष 2020 में निर्मित कुल 1,27,960 इकाइयों में से किफायती घरों का हिस्सा गिरकर 30 प्रतिशत रह गया। इन सात शहरों में वर्ष 2021 में तैयार कुल 2,36,700 घरों में से किफायती घरों का आंकड़ा और भी गिरावट के साथ 26 प्रतिशत पर गया। किफायती घरों की संख्या में गिरावट का दौर पिछले साल भी जारी रहा और कुल नई आवासीय इकाइयों में किफायती घरों का अनुपात गिरकर 20 प्रतिशत रह गया। 

महंगी जमीन के चलते नहीं बन रहे सस्ते मकान

एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ’किफायती घरों की तादाद कम होने के पीछे कई कारक हैं। इनमें एक निश्चित रूप से जमीन है। डेवलपर मध्यम एवं प्रीमियम श्रेणी वाली इकाइयां बनाकर जमीन की लागत की आसानी से भरपाई कर सकते हैं लेकिन किफायती घरों के मामला अलग हो जाता है।’ 

अब 40 से 1.5 करोड़ के मकान ढूंढ रहे ग्राहक 

रियल्टी फर्म सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने किफायती घरों की संख्या कम होने के पीछे बढ़ती निर्माण लागत और जमीन की कीमतों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि इस श्रेणी में नई परियोजनाएं लाने की गुंजाइश ही ही नहीं बची है। एनरॉक ने कहा कि ऐसी स्थिति में नए घर की तलाश करने वाले लोगों की मांग 40 लाख रुपये से अधिक और 1.5 करोड़ रुपये से कम कीमत वाले घरों की तरफ केंद्रित हो गई है। 

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