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चीनी की मिठास महंगी पड़ेगी, इतने रुपये बढ़ सकते हैं दाम, जानें क्यों

न्यूनतम बिक्री मूल्य वर्ष 2019 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित रखा गया है, जबकि सरकार ने हर साल गन्ना उत्पादकों को दिए जाने वाले उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में वृद्धि की है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Jun 15, 2024 10:59 IST, Updated : Jun 15, 2024 10:59 IST
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Photo:FILE चीनी

आने वाले समय में चीनी की मिठास लेने के लिए आपको ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ सकता है। दरअसल, राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (एनएफसीएसएफ) ने सरकार से चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर कम से कम 42 रुपये प्रति किलोग्राम करने का आग्रह किया, ताकि बढ़ती उत्पादन लागत के बीच मिलों को परिचालन जारी रखने में मदद मिल सके। वहीं, समाचार रिपोर्टों से पता चला है कि सरकार 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले 2024-25 के आगामी सीजन के लिए चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) को बढ़ाने पर विचार कर रही है। अगर सरकार NFCSF की मांग को मांगते हुए चीनी की MSP में बढ़ोतरी करती है तो इसका असर खुदरा मार्केट में देखने को मिलेगा। चीनी की प्रति किलो कीमत बढ़ सकती है। यानी आपको चीनी खरीदने के लिए अधिक पैसे चुकाने होंगे। जानकारों का कहन है कि चीनी की कीमत प्रति किलो 3 से 4 रुपये बढ़ सकती है।

2019 से कीमत में नहीं हुआ बदलाव 

न्यूनतम बिक्री मूल्य वर्ष 2019 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित रखा गया है, जबकि सरकार ने हर साल गन्ना उत्पादकों को दिए जाने वाले उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में वृद्धि की है। एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने एक बयान में कहा कि महासंघ ने खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों को आंकड़े सौंपे हैं, जिसमें चीनी उत्पादन लागत में लगातार वृद्धि दिखाई दे रही है, जिससे न्यूनतम विक्रय मूल्य को गन्ने के एफआरपी के साथ तालमेल बिठाना आवश्यक हो गया है। पाटिल ने कहा, ‘‘यदि चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया जाता है, तो चीनी उद्योग लाभप्रद हो सकता है।’’ 

सरकार के 100 दिन के एजेंडे में शामिल

उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कदम सरकार के 100-दिवसीय एजेंडे का हिस्सा होगा। उन्होंने कहा कि एनएफसीएसएफ और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम संयुक्त रूप से अक्टूबर 2024 से शुरू होने वाले आगामी सत्र से सहकारी मिलों को उनकी पेराई क्षमता के आधार पर गन्ना कटाई मशीनें उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि हाल ही में पुणे में केंद्रीय खाद्य एवं सहकारिता मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ एक संयुक्त बैठक में भी इन चिंताओं पर चर्चा की गई। 

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