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Nord Stream 2: क्या है नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन, संकट का भारत पर पड़ेगा कितना असर

यह पाइपलाइन गैस के भंडार रूस के साइबेरिया को बाल्टिक सागर के रास्ते जर्मनी से जोड़ती है। यह प्रोजेक्ट जितना जरूरी रूस के लिए है उतना ही जर्मनी और यूरोप के लिए भी है।

Edited by: India TV Business Desk
Published : February 23, 2022 18:30 IST
Nord Stream 2- India TV Paisa
Photo:AP

Nord Stream 2

Highlights

  • रूस और यूक्रेन विवाद की एक जड़ नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट भी है
  • जर्मनी के चांसलर ओलाफ शेल्ज ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 के सर्टिफिकेशन प्रॉसेस को रोकने की घोषणा की
  • यह पाइपलाइन रूस के साइबेरिया को बाल्टिक सागर के रास्ते जर्मनी से जोड़ती है

नई दिल्ली। यूरेशिया में इस समय तनाम अपने चरम पर है। रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine Crisis) पर युद्ध के संकट गहराने लगे हैं। इस विवाद की एक जड़ नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट भी है। रूस को झटका देते हुए जर्मनी के चांसलर ओलाफ शेल्ज ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 (Nord Stream 2) गैस पाइपलाइन के सर्टिफिकेशन प्रॉसेस को रोकने की घोषणा की है। इस परियोजना की लागत 11 अरब डॉलर है। 

यह पाइपलाइन गैस के भंडार रूस के साइबेरिया को बाल्टिक सागर के रास्ते जर्मनी से जोड़ती है। यह प्रोजेक्ट जितना जरूरी रूस के लिए है उतना ही जर्मनी और यूरोप के लिए भी है। जर्मनी अपनी एनर्जी से जुड़ी 45 प्रतिशत जरूरतों के लिए रूसी गैस पर निर्भर है। फिलहाल जर्मनी को नॉर्ड स्ट्रीम-1 के जरिए गैस की सप्लाई करता है, जो कि यूक्रेन होकर गुजरती है। नॉर्ड 2 के पूरा होने पर जर्मनी को होने वाली गैस सप्लाई की क्षमता लगभग दोगुनी हो जाएगी। 

यही वजह है कि रूस और जर्मनी के बीच यह बेहद महत्वपूर्ण पाइपलाइन है। रूस, यूरोप में प्राकृतिक गैस का करीब एक-तिहाई उत्पादन करता है और वैश्विक तेल उत्पादन में उसकी हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत है। ब्रिटेन छोड़ दें तो यूरोप अपनी गैस जरूरतों के लिए रूस पर काफी हद तक निर्भर है।

क्या है नॉर्ड स्ट्रीम 2 प्रॉजेक्ट

जैसा कि हमने आपको बताय कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन उत्तरी यूरोप के बाल्टिक सागर से होते हुए हुए रूस के पश्चिमी हिस्से से उत्तरपूर्वी जर्मनी तक जाने वाली दूसरी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है। नॉर्ड स्ट्रीम 2, 1230 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन है। इसका निर्माण साल 2018 में शुरू हुआ और सितंबर 2021 में यह पूरा हो गया। दूसरी ओर नॉर्ड स्ट्रीम 1 गैस पाइपलाइन साल 2011 में चालू हुई थी। नई गैस पाइपलाइन में हर साल 55 अरब घन मीटर गैस ले जाने की क्षमता होने की बात कही जा रही है। 

यूरोप के लिए गैस कितनी महत्वपूर्ण

बाल्टिक सागर के नीचे से गुजर रही नॉर्ड स्ट्रीम 2 यूरोप के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यूरोप और विशेष रूप से जर्मनी गैस की जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है। रूस पर प्रतिबंध का मतलब है कि यूरोप में गैस की किल्लत। दूसरी ओर यह प्रॉजेक्ट रूस की आमदनी का भी एक प्रमुख जरिया बनने जा रहा था। 

नॉर्ड स्ट्रीम 1 का विकल्प 

नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन यूक्रेन से होकर गुजरती है। जिसके लिए यूक्रेन को 2 अरब डॉलर की ट्रांजिट फीस देनी होती है। नॉर्ड स्ट्रीम 2 यूक्रेन को बाइपास करते हुए यूरोप पहुंचेगी। इससे पैसे भी बचेंगे। जर्मनी हमेशा से दावा करता रहा है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन पूरी तरह से एक कॉमर्शियल प्रॉजेक्ट है। 

भारत के लिए कितना संकट 

भारत और यूरोपीय संघ दुनिया के सबसे बड़े कारोबारी साझेदारों में से एक हैं। भारत अपनी जरूरत की मशीनरी से लेकर कारों के पार्ट तक जर्मनी से आयात करता है। जर्मनी में यदि गैस की किल्लत होने से कीमतें बढ़ती हैं तो भारत के लिए भी आयात महंगा हो जाएगा। इससे भारत में भी जरूरी प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ सकती है। इसके साथ ही सरकार का व्यापार घाटा भी बढ़ सकता है। 

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