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2018-19 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि में गिरावट संभव, भारत को नहीं होगा कोई नुकसान, 7.3% की दर से बढ़ सकती है GDP: विश्व बैंक

विश्व बैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को आसमान पर धुंध छाना बताते हुए इस साल के लिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि का पूर्वानुमान पिछले साल के तीन प्रतिशत के मुकाबले 2.9 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि, विश्व बैंक के मुताबिक भारत की GDP वित्त वर्ष 2018-19 में 7.3 फीसदी की दर से बढ़ सकती है।

Written by: Bhasha
Updated : January 09, 2019 13:16 IST
विश्व बैंक के...- India TV Paisa
Photo:PTI

विश्व बैंक के मुताबिक 2018-19 के दौरान वैश्विक आर्थिक वृद्धि में गिरावट आ सकती है।

वाशिंगटन: विश्व बैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को आसमान पर धुंध छाना बताते हुए इस साल के लिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि का पूर्वानुमान पिछले साल के तीन प्रतिशत के मुकाबले 2.9 प्रतिशत कर दिया है। विश्व बैंक ने जारी की गई वैश्विक आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि के सुस्त पड़ने का अनुमान है। उसने कहा कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि पिछले साल के तीन प्रतिशत की तुलना में नरम होकर इस साल 2.9 प्रतिशत पर आ सकती है। हालांकि, विश्व बैंक के मुताबिक भारत की GDP वित्त वर्ष 2018-19 में 7.3 फीसदी की दर से बढ़ सकती है।

विश्व बैंक परिदृश्य समूह के निदेशक आह्यान कोसे ने कहा, ‘‘वैश्विक वृद्धि सुस्त पड़ रही है और जोखिम बढ़ रहे हैं। हमें लगता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के आसमान पर धुंध छा रही है।’’ विश्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विनिर्माण गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं। व्यापारिक तनाव बढ़ा है। कुछ बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष वित्तीय दबाव बढ़ा है। लेकिन, साथ ही कोसे ने भारत की GDP के बारे में बात करते हुए कहा कि ‘‘भारत की आर्थिक वृद्धि का परिदृश्य अब भी शानदार है। भारत अभी भी सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था है।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘निवेश में तेजी आने और उपभोग के मजबूत बने रहने से हमारा अनुमान है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2018-19 में 7.3 प्रतिशत की दर से और 2019 और 2020 में 7.5 प्रतिशत की औसत दर से वृद्धि हो सकती है। भारत ने कारोबार सुगमता रैंकिंग में भी सुधार दर्ज किया है। भारत में वृद्धि की संभावनाएं हैं।’’ विश्वबैंक ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा कि भारत में आर्थिक वृद्धि की गति को तेजी मिली है। इसे उपभोग में वृद्धि और तात्कालिक कारकों का प्रभाव मंद होने के बाद निवेश में तेजी से समर्थन मिला है। उसने कहा कि बैंकों के पुनर्पूंजीकरण और माल एवं सेवा कर जैसे संरचनात्मक सुधारों के कारण घरेलू मांग बढ़ी है।

विश्वबैंक ने कहा कि मजबूत घरेलू मांग के कारण अगले साल चालू खाता घाटा जीडीपी का 2.6 प्रतिशत रह सकता है। उसने कहा कि ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतों के बढ़ने के कारण मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के लक्ष्य के मध्य से कुछ ऊपर रह सकती है। कोसे ने कहा, ‘‘भारत की वृद्धि के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि तात्कालिक अवरोधों (नोटबंदी और जीएसटी) के बाद भी अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।’’

 

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