Saturday, July 27, 2024
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शेयर बाजार में कोहराम, सेंसेक्स 793 अंक डुबकी लगा हुआ बंद, निफ्टी 22,519 पर आया, इन स्टॉक्स में हलचल

निवेशकों की बड़ी पूंजी आज के कारोबार में स्वाहा हो गई। आईटी सेक्टर की प्रमुख कंपनी टीसीएस के मार्च तिमाही के आंकड़ों से पहले सतर्कता ने भी भारतीय शेयर बाजार की गिरावट में योगदान दिया।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: April 12, 2024 16:06 IST
कारोबारी सत्र के दौरान बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 0.5 प्रतिशत कमजोर हो गए।- India TV Paisa
Photo:FILE कारोबारी सत्र के दौरान बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 0.5 प्रतिशत कमजोर हो गए।

कममजोर ग्लोबल संकेतों के बीच घरेलू शेयर मार्केट में सप्ताह के आखिरी सत्र में शुक्रवार को कोहराम की स्थिति रही। कारोबार के आखिर में बंबई शेयर बाजार का इंडेक्स सेंसेक्स आज 793.25 अंकों का गोता लगा गया और 74244.90 के लेवल पर बंद हुआ। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क निफ्टी भी 234.40 अंक लुढ़ककर 22519.40 के लेवल पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 0.5 प्रतिशत कमजोर हो गए। निफ्टी बैंक 422 अंक या 0.86% गिरकर 48,564.55 पर बंद हुआ।

निवेशकों की सतर्कता का भी योगदान रहा

खबर के मुताबिक, शेयर बाजार में आज चौतरफा खरीदारी देखने को मिली। आईटी सेक्टर की प्रमुख कंपनी टीसीएस के मार्च तिमाही के आंकड़ों से पहले निवेशकों की सतर्कता ने भी भारतीय शेयर बाजार की गिरावट में योगदान दिया। खबर के मुताबिक, शुक्रवार को तेल, गैस, एफएमसीजी और फार्मा कंपनियों के शेयर में बिकवाली देखने को मिली।

इन स्टॉक्स में उतार-चढ़ाव

कारोबार के दौरान डिविज़ लैब, बजाज ऑटो, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, टाटा मोटर्स और टीसीएस निफ्टी 50 में टॉप पर रहे। जबकि सन फार्मा, मारुति सुजुकी, पावर ग्रिड, टाइटन और ओएनजीसी स्टॉक निफ्टी 50 में प्रमुख तौर पर पिछड़ गए। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर और 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड शुक्रवार को अपने पांच महीने के उच्च स्तर के करीब कारोबार कर रही थी। इसके पीछे कहा जा रहा है कि निवेशकों को अब उम्मीद है कि फेड जून से आगे दर में कटौती में देरी करेगा। यह चिंता भी बढ़ रही है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक दरों में कोई ठोस कटौती नहीं कर सकता है।


विशेषज्ञों ने कहा कि फेड द्वारा इस साल अपनी मुख्य फंड दर में 50 बीपीएस से कम की कमी करने की उम्मीद है। ऐसा मालूम पड़ रहा है कि बाजार में चिंताओं की कोई कमी नहीं है। मुद्रास्फीति और ऊंचे भू-राजनीतिक तनाव के अलावा, बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव भी बाजार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।

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