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मार्केट में हाहाकार के बीच Jet Airways में लगातार तीसरे दिन लगा अपर सर्किट, ये है वजह

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने बीते मंगलवार को जेट एयरवेज के स्वामित्व को जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को ट्रांसफर करने को हरी झंडी दे दी थी।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Mar 14, 2024 10:19 IST, Updated : Mar 14, 2024 10:32 IST
अपर सर्किट लगते समय बीएसई पर कंपनी का शेयर भाव 47.16 रुपये पर कारोबार कर रहा था।- India TV Paisa
Photo:REUTERS अपर सर्किट लगते समय बीएसई पर कंपनी का शेयर भाव 47.16 रुपये पर कारोबार कर रहा था।

शेयर बाजार में भारी गिरावट के बीच जेट एयरवेज के शेयर में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन अपर सर्किट लग गया। अपर सर्किट लगते समय बीएसई पर कंपनी का शेयर भाव 47.16 रुपये पर कारोबार कर रहा था। बीते सत्र के मुकाबले आज इसके शेयर में 4.99 प्रतिशत की तेजी आई थी। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने बीते मंगलवार को जेट एयरवेज के स्वामित्व को जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को ट्रांसफर करने को हरी झंडी दे दी थी, जो बंद पड़ी एयरलाइन के लिए सफल बोली लगाने वाली कंपनी थी। माना जा रहा है कि यही वजह है कि शेयर पर अपर सर्किट लग गया।

एनसीएलएटी ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश को बरकरार रखा, जिसने पिछले साल जनवरी में जेकेसी को स्वामित्व ट्रांसफर करने की अनुमति दी थी। जेकेसी द्वारा एयरलाइन के अधिग्रहण के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अपील खारिज कर दी गई थी। जेट एयरवेज के शेयरों में बुधवार को 5 प्रतिशत अपर सर्किट लगा था और यह तब 42.79 रुपये पर बंद हुआ था।

स्वामित्व के ट्रांसफर को लेकर कानूनी विवाद

जेकेसी और जेट एयरवेज के ऋणदाता एक साल से ज्यादा समय से सफल बोली लगाने वाले को एयरलाइन के स्वामित्व के ट्रांसफर को लेकर कानूनी विवाद में लगे हुए हैं। जनवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे मुद्दों में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए, एनसीएलएटी के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें जेकेसी को अपनी बैंक गारंटी से 150 करोड़ रुपये एडजस्ट करने की अनुमति दी गई थी।

क्या है अपर सर्किट

भारतीय शेयर बाजार में, एक अपर सर्किट और लोअर सर्किट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल स्टॉक या सिक्योरिटीज़ के ज्यादा प्राइस मूवमेंट को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। इस सर्किट फिल्टर को प्राइस बैंड के नाम से भी जाना जाता है, जिसे स्टॉक को ज्यादा खरीदने या बेचने से रोकने के लिए लगाए जाते हैं। ऐसा न करने से मार्केट की स्थितियां अस्थिर हो सकती हैं।

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