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Income Tax बचाने के लिए भूलकर भी न करें फर्जी रेंट रिसीट का इस्तेमाल, IT विभाग कस रहा है नकेल

इनकम टैक्स से जुड़े जिस प्रूफ का सबसे अधिक फर्जी इस्तेमाल होता है, वह है रेंट रिसीट। अब आयकर विभाग ऐसे ही फर्जीवाड़े पर लगाम लगा रहा है

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: August 10, 2023 15:24 IST
Income Tax Rent Receipt - India TV Paisa
Photo:FILE Income Tax Rent Receipt

आयकर की पु​रानी व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स (Income Tax) बचाने के लिए सरकार ने कई उपाय दिए हैं, जिसमें घर का किराया भी एक बेहतर विकल्प होता है। इसके लिए आपको अपने इंप्लायर को फरवरी या मार्च में हाउस रेंट रिसीट जमा करनी होती है। इसके अलावा नौकरीपेशा लोग अन्य दूसरे दस्तावेज भी जारी करते हैं। अधिकांश मामलों में देखा गया है कि लोग इसमें मकान मालिक से रिसीट लेने की बजाए खुद ही फर्जी रिसीट तैयार कर अपनी कंपनी में जमा कर देते हैं। लेकिन आपकी यह चालाकी आपको मुसीबत में डाल सकती है। विशेष रूप से यह फर्जीवाड़ा नौकरीपेशा लोगों को बहुत ही भारी पड़ सकता है।

आयकर विभाग इस प्रकार के फर्जीवाड़े पर नजर रखने के लिए एक खास सॉफ्टवेयर की मदद ले रहा है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से करदाताओं द्वारा जमा किए गए फर्जी डॉक्यूमेंट्स को पकड़ना आसान हो गया है। इकोनॉमिक टाइम्स अखबार में छपी खबर के अनुसार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसे टैक्सपेयर्स को नोटिस भेज रहा है। उनसे टैक्स छूट के दावों से जुड़े दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। 

किन किन डॉक्यूमेंट की हो रही है स्क्रूटनी

आयकर विभाग फर्जी डॉक्यूमेंट पर काफी सख्ती बरत रहा है। इसके लिए विभाग नोटिस भी भेजने की तैयारी में है। आयकर विभाग की जिन फर्जी डॉक्यूमेंट पर नजर है उसमें हाउस रेंट रिसीट, ऑफिशियल ड्यूटी करने के लिए हेल्पर हायर करने और होम लोन पर चुकाए गए ब्याज की रिसीट शामिल हैं। ये नोटिस एसेसमेंट ईयर 2022-23 से संबंधित हैं और ये नोटिस आईटी कानून की धारा 133(6) के तहत जारी किए गए हैं। यह कानून टैक्स एसेसिंग ऑफिसर को किसी खास अवधि के दौरान किए गए ट्रांजैक्शन्स के कुछ डिटेल्स की जानकारी मांगने का अधिकार देता है। 

किस धारा के तहत मिलती है छूट 

नौकरीपेशा लोगों को आयकर विभाग की ओर से आईटी एक्ट की धारा 10 (13A) के तहत घर के किराए पर भी टैक्स बेनिफिट मिलता है। इस कानून के तहत यदि आपके मकान का किराया सालाना एक लाख रुपये से अधिक है तो आपको मकान मालिक का पैन कार्ड देना होगा। यदि किराया 1 लाख रुपये से कम है तो मकान मालिक के PAN का खुलासा करने की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में लोग 1 लाख से कम किराया दिखाकर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के नाम से फर्जी रेंट रिसीट तैयार कर देते हैं। 

घर होने के बाद भी रेंट रिसीट

इनकम टैक्स विभाग को एक अन्य प्रकार का फर्जीवाड़ा भी देखने को मिला है, जिसमें वे लोग जिनका अपना घर है, वे भी रेंट स्लिप लगाकर टैक्स छूट ले रहे हैं। आयकर विभाग की कंप्यूटर डेटा जांच में ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है, ऐसे में इन्हें नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है। सीबीडीटी के सेंट्रल एक्शन प्लान के मुताबिक फील्ड ऑफिसर्स टैक्स बेस को बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही है। इस तरह के फर्जीवाड़े में शामिल टैक्सपेयर्स के साथ-साथ उन्हें टैक्स भरने में मदद करने वाले लोगों पर भी गाज गिर सकती है।

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