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बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा 5 लाख कर सकती है सरकार, अर्थशास्त्रियों ने दिया वित्त मंत्री को यह सुझाव

आर्थिक शोध संस्थान, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘आयकर की दरें और कर स्लैब संशोधन एक पेचीदा मामला है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Jan 08, 2023 14:41 IST, Updated : Jan 27, 2023 14:44 IST
इनकम टैक्स छूट की सीमा - India TV Paisa
Photo:FILE इनकम टैक्स छूट की सीमा

सरकार बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा 5 लाख करने का ऐलान कर सकती है। दरअसल, अगले महीने पेश होने वाले आम बजट से पहले अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई और रहन-सहन की लागत में वृद्धि को देखते हुए कर स्लैब तथा मानक कटौती के साथ आयकर कानून के तहत छूट सीमा बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यम वर्ग को सबसे बड़ी राहत तभी मिलेगी जब महंगाई नीचे आएगी और इसके लिए उपाय करने होंगे। सूत्रों के हवाल से खबर आ रही है कि सरकार आम लोगों को राहत देने पर विचार कर रही है। इसके लिए इनकम टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है। 

आम चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2023-24 का बजट पेश करेंगी। यह इस सरकार का अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट है। जाने-माने अर्थशास्त्री और वर्तमान में बेंगलुरु स्थित डॉ.बी आर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स यूनिवर्सिटी के कुलपति एन आर भानुमूर्ति ने कहा, बजट में मध्यम वर्ग के लिये क्या होगा, इसका आकलन करना कठिन है। हालांकि, महंगाई को चार प्रतिशत के स्तर पर लाने का कोई भी उपाय स्वागतयोग्य कदम होगा। जहां तक कर स्लैब और मानक कटौती का सवाल है, रहन-सहन की लागत में वृद्धि को देखते हुए इसका मामला बनता है। आर्थिक विशेषज्ञों ने बिना छूट वाले आयकर ढांचे को सरल बनाने तथा इसे मौजूदा सात स्लैब से घटाकर चार स्लैब का करने की वकालत की है। 

80 सी के तहत छूट की सीमा बढ़े 

आर्थिक शोध संस्थान, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘आयकर की दरें और कर स्लैब संशोधन एक पेचीदा मामला है। हालांकि, आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत निवेश सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाया जा सकता है। इससे बचत को प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि, इसके लिये रिजर्व बैंक को नकारात्मक ब्याज दर (मौजूदा ब्याज दर और मुद्रास्फीति के बीच अंतर) की समस्या का समाधान करना होगा। नकारत्मक ब्याज दर का सबसे प्रतिकूल प्रभाव मध्यम वर्ग पर पड़ता है। हालांकि, थोड़ी राहत के रूप में मानक कटौती सीमा में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है। फिलहाल मानक कटौती के तहत 50,000 रुपये तक की छूट है। सात स्लैब के सरल कर ढांचे के बारे में मंडल ने कहा, ‘‘वास्‍तव में वैकल्पिक आयकर ढांचे में बहुत अधिक कर स्‍लैब हैं। मेरे विचार में हमारे पास केवल चार कर स्लैब होने चाहिए। 

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