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बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले अधिकांश म्यूचुअल फंड रिटर्न देने में फिसड्डी, जानें क्या रही वजह

दूसरी ओर 55 प्रतिशत सक्रिय प्रबंधकों ने इस अवधि में सूचकांक से कमतर प्रदर्शन किया। इसके अलावा, 2022 में एसएंडपी बीएसई छह प्रतिशत बढ़ा और 77 प्रतिशत भारतीय ईएलएसएस (इक्विटी से जुड़ी बचत योजनाएं) फंड ने सूचकांक को कमतर प्रदर्शन किया। एसएंडपी ‘इंडेक्स वर्सेज एक्टिव फंड इंडिया स्कोरकार्ड’ के अनुसार, 2022 में इंडियन कम्पोजि

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: April 11, 2023 17:56 IST
म्यूचुअल फंड- India TV Paisa
Photo:FILE म्यूचुअल फंड

भारत में ज्यादातर बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले (लार्ज-कैप) इक्विटी म्यूचुअल फंड 2022 में प्रमुख सूचकांकों को रिटर्न देने के मामले में पीछे छोड़ने में विफल रहे। एसएंडपी डाउ जोंस इंडेक्स ने मंगलवार को जारी एक अध्ययन में कहा कि 88 प्रतिशत सक्रिय रूप से मैनेज्ड फंड ने 2022 में एसएंडपी बीएसई 100 से खराब प्रदर्शन किया। अध्ययन के मुताबिक, इस दौरान भारतीय शेयरों (मिड/स्मॉल कैप फंड) के लिए प्रमुख सूचकांक-एसएंडपी बीएसई 400 मिडकैप इंडेक्स दो प्रतिशत बढ़ा। मार्केट के जानकार का कहना है कि बाजार में करेक्शन आने से म्यूचुअल फंड कंपनियों को यह नुकसान उठाना पड़ा है।

सूचकांक से कमतर प्रदर्शन किया

दूसरी ओर 55 प्रतिशत सक्रिय प्रबंधकों ने इस अवधि में सूचकांक से कमतर प्रदर्शन किया। इसके अलावा, 2022 में एसएंडपी बीएसई छह प्रतिशत बढ़ा और 77 प्रतिशत भारतीय ईएलएसएस (इक्विटी से जुड़ी बचत योजनाएं) फंड ने सूचकांक को कमतर प्रदर्शन किया। एसएंडपी ‘इंडेक्स वर्सेज एक्टिव फंड इंडिया स्कोरकार्ड’ के अनुसार, 2022 में इंडियन कम्पोजिट बॉन्ड फंड का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा, और उसने एसएंडपी बीएसई इंडिया बॉन्ड सूचकांक की तुलना में 45 प्रतिशत कमतर प्रदर्शन किया।

निवेशकों को 'डायरेक्ट प्लान' का विकल्प देने को कहा

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने खर्च में पारदर्शिता लाने और गलत तरीके से बिक्री पर लगाम लगाने के लिए वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) से निवेशकों को ‘डायरेक्ट प्लान’ का विकल्प देने को कहा है। इसके अलावा, सेबी ने कमीशन वितरण के लिए चरणबद्ध मॉडल शुरू करने को भी कहा है और एआईएफ के निवेश से किसी निवेशक को बाहर निकलने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं। नियामक ने कुछ उद्योग व्यवहार के संबंध में निजी नियोजन ज्ञापन (पीपीएम) में असंगतता और पर्याप्त खुलासे की कमी के मद्देनजर ये दिशानिर्देश जारी किए हैं। सेबी ने दो अलग-अलग परिपत्रों में कहा है कि नए नियमों का मकसद एआईएफ में निवेश के लिए निवेशकों को लचीलापन देना, खर्च में पारदर्शिता लाना और गलत बिक्री को रोकना है। ‘डायरेक्ट प्लान’ से संबंधित ढांचा एक मई से लागू होगा, जबकि एआईएफ निवेश से निवेशक को बाहर करने से संबंधित ढांचा तुरंत प्रभावी हो जाएगा।

 

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