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फाइनेंशियल प्लानिंग का 50:30:20 फॉर्मूला है जबरदस्त हिट, समझें महीने में कितना खर्च और कितनी करें बचत

जरूरतें, बचत और चाहत की कैटेगरी में मंथली खर्च को बांटकर आप शानदार फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते हैं। इससे आप आर्थिक तौर पर कभी दबाव महसूस नहीं करेंगे।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Oct 23, 2023 6:59 IST, Updated : Oct 23, 2023 6:59 IST
One should avoid spending the money kept for unexpected emergencies on other expenses.- India TV Paisa
Photo:FREEPIK अप्रत्याशित इमरजेंसी के लिए रखे पैसे को दूसरे खर्चों में खर्च करने से बचना चाहिए।

फाइनेंशियल प्लानिंग (financial planning) के लिए कई नियम हैं जिन्हें आप अमल में लाकर अपने हिसाब से अपने फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट की प्लानिंग कर सकते हैं। कई बार कुछ फॉर्मूला ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं। ऐसा ही एक 50:30:20 फॉर्मूला (financial planning 50-30-20 formula) है। यह आपके मंथली खर्च और निवेश को सुव्यवस्थित करने में काफी मददगार है। यूं कहें कि यह एक थम्ब रूल है जो आपके यह तय करने में मदद कर सकता है कि आखिर आपको एक महीने में कितनी बचत करनी है और कितना खर्च करना है।

50:30:20 फॉर्मूला को यहां समझिए

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, 50:30:20 फॉर्मूला या नियम आपके फाइनेंस को तीन कैटेगरी-जरूरतें, बचत और चाहत में रखता है। आपको बता दें, यहां आपकी इनकम का 50 प्रतिशत हिस्सा घरेलू खर्च, किराने का सामान जैसे जीवन-यापन के खर्चों (जरूरतों) में जाना चाहिए। इसी तरह, 30 प्रतिशत खर्च चाहत को पूरा करने के लिए, जिसमें घूमना, खाना-पीना और ट्रैवल करना आदि में होना चाहिए। इसके प्रतिशत में आप अपनी उम्र, परिस्थिति के मुताबिक बदलाव कर सकते हैं। जबकि 20 प्रतिशत हिस्सा शॉर्ट, मीडियम और लौंग टाइम के टारगेट के लिए खर्च होना चाहिए।

जरूरत के लिए 50 प्रतिशत वाला हिस्सा
इस कैटेगरी में उन खर्चों में उन्हें शामिल किया जाना चाहिए जो बहुत जरूरी हैं। इस टॉप प्रायोरिटी देनी चाहिए। ऐसे समझ लें कि आपकी इनकम का 50 प्रतिशत हिस्सा आपकी जरूरतों के लिए अलग रखा जाना चाहिए। इसमें जरूरी खर्च, फाइनेंशियल जिम्मेदारी और दूसरी जिम्मेदारी भी शामिल हैं। इस खर्च में किराया, यूटिलिटीज, किराना, हेल्थ केयर, इंश्योरेंस प्रीमियम, बच्चे की स्कूल या कॉलेज की फीस आदि शामिल हो सकते हैं।

चाहतों के लिए 30 प्रतिशत हिस्सा
फाइनेंशियल प्लानिंग (financial planning) में चाहत उस तरह का खर्च है जो आपके जीवन यापन के लिए बिल्कुल जरूरी नहीं हैं। इसे ऐसे कह सकते हैं कि वे सभी खर्च जिन्हें विलासिता या विवेकाधीन माना जाता है, इस कैटेगरी में आएंगे। चूंकि ये खर्च आपके अस्तित्व के लिए जरूरी नहीं हैं, इसलिए नियम के मुताबिक, आपको आपकी शुद्ध आय का लगभग 30% हिस्सा सिर्फ अलॉट करने की जरूरत है।

बचत के लिए 20 प्रतिशत हिस्सा
जानकारों की राय है कि आपकी इनकम का आखिरी 20 प्रतिशत हिस्सा बचत (savings) और निवेश के लिए अलॉट किया जाना चाहिए। आपकी मासिक आय का 20 प्रतिशत आपके फ्यूचर टारगेट, निवेशों और मेडिकल इलाज, घर के रखरखाव, या कार की मरम्मत जैसी अप्रत्याशित इमरजेंसी के लिए बचाया जाना चाहिए। आप इन बचतों के लिए एक खास बैंक अकाउंट रख सकते हैं। दूसरे खर्चों में इन पैसों को खर्च करने से बचें।

फॉर्मूला का कैसे करें इस्तेमाल
कोई व्यक्ति अपना फाइनेंशियल प्लानिंग (financial planning) करते समय सबसे पहले, अपनी मासिक इनकम की गणना करें और फिर अपने खर्च को जरूरतों, चाहतों और बचत में कैटेगराइज करें। हर कैटेगरी के लिए खर्च की लिमिट क्रमशः 50%, 30% और 20% होनी चाहिए। ऐसे समझें जैसे मान लिया आप हर महीने 60,000 रुपये कमाते हैं, तो आप अपनी जरूरतों के लिए 30,000 रुपये, अपनी चाहतों के लिए 18,000 रुपये और अपनी बचत और निवेश के लिए 12,000 रुपये अलॉट करेंगे। अगर आपको लगता है कि एक कैटेगरी के लिए आपका खर्च लिमिट से ज्यादा है, तो 50/30/20 नियम पर टिके रहने के लिए अपने खर्च को दूसरी कैटेगरी में एडजस्ट करें।

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